भारतीय नारी

भारतीय नारी पर हिंदी में निबंध| Eassy on Indian Woman

भारतीय नारी पर हिंदी में निबंध ( Eassy on Indian Woman in Hindi)

भारतीय नारी मातृत्व की गरिमा से मंडित है। पत्नीत्व के सौभाग्य से ऐश्वर्यशालिनी है। धार्मिक अनुष्ठानों की सहधर्मिणी होने से धर्मपत्नी तथा अर्धांगिनी है। गृह की व्यवस्थापिका होने के कारण वह गृहलक्ष्मी है । सम्भोग-सुख के निमित्त पत्नी, प्रेयसी तथा रम्भा है। अर्थ के अर्जन में पुरुष की,सहयोगिनी है।

भारतीय नारी
भारतीय नारी

भारतीय नारी: मातृत्व की गरिमा से मंडित

भारतीय नारी जननी पहले, कुछ और बाद में है, इसलिए वह सृष्टि की निर्मात्री है। पुरुष को पुत्र प्रदान कर उसको पितृऋण से मुक्त कराती है, पुत्री देकर संसार के अस्तित्व को स्थिरता प्रदान करती है, इस रूप में वह पूज्या है।

भारतीय नारी की विशेषता बताते हुए डॉ. विद्यानिवास मिश्र लिखते हैं–

” भारतीय नारी में हजार रिश्तों के केन्द्र समाहित दीखते हैं । सहस्नदल कमल दीखती है वह । रस लेती रहती है अपने मैके से, वाणी की तरह; लक्ष्मी की तरह लहराती रहती है अपने ससुराल में। उसके सहस्नदल सहस्रशोभा-किरण बनकर सहस्र दिशाओं को प्रकाशित करते रहते हैं–किसी की ननद है, किसी की भाभी, किसी की जेठानी, किसी की देवरानी; किसी की दीदी, किसी की लाडली, किसी की पतोहू, किसी की अनुज-वधू, किसी कह कम चाची, मौसी, बुआ। इन सहस्र सम्बन्धों से एक होकर वह पूर्ण प्रस्फुटित कमल बनती है, तभी उसके भीतर पराग भरता है । उस पराग के कण-कण में नई-सृष्टि के बीज पड़ते हैं । नारी उन पराग कणों में मधुपावली बनकर बीजमंत्र पढ़ती है–सम्पूर्ण उत्सर्ग के सम्पूर्ण प्यार के, सम्पूर्ण शक्ति के।”

डॉ. विद्यानिवास मिश्र

भारतीय नारी: सुसस्कृत और जीवन मूल्यों से परिचित

महादेवी वर्मा के शब्दों में,

“भारत की सामान्य नारी शिक्षित न होकर भी संस्कृत है।”

महादेवी वर्मा

जीवन-मूल्यों से उसका परिचय अक्षरों द्वारा न होकर अनुभवों द्वारा हुआ है। अत: उसके संस्कार समय के साथ गहराते गए। परिणामत: आज भी नीति, धर्म, दर्शन, आचार, कर्तव्य आदि का एक सहज-बोध रखने के कारण भारत की अशिक्षित नारी, शिक्षित नारी की अपेक्षा धरती के अधिक निकट और जीवन-संग्राम में ठहरने के लिए अधिक समर्थ है।

पत्नी रूप में भारतीय नारी ऐश्वर्यशालिनी है। इसलिए मनु ने कहा है, ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: ।’ नारी परामर्श देने में मंत्री, गृह-कार्य में दासी, धर्मकार्य में पत्नी, सहिष्णुता में पृथ्वी, स्नेह करते हुए माता, विलास में रम्भा तथा क्रीडा में मित्र का स्थान रखती है।

प्रसाद जी ने नारी के इसी महत्‌ रूप पर रीझ कर कहा है–

नारी/ तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पयतल में।
पीयूष-स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुन्दर समतल में ॥

प्रसाद जी

भारतीय नारी: गृह लक्ष्मी के उच्च सिंहासन पर आरूढ़

गृह की व्यवस्थापिका होने के कारण. भारतीय नारी ‘गृहलक्ष्मी’ के उच्च सिंहासन पर आरूढ़ है, किन्तु आज भी अर्थ-स्वातन्त्रय के अधिकार से वंचित होने के कारण वह दीन है, रंक है। उसे प्रत्येक पग-पग पर, प्रत्येक साँस के साथ पुरुष से सहायता की भिक्षा माँगते हुए चलना पड़ता है। उसका ‘गृहलक्ष्मी ” का गौरवपूर्ण पद, उसका सम्पूर्ण त्याग; सारा स्नेह और आत्म-समर्पण बन्दी के विवश कर्तव्य के समान जान पड़ते हैं।

आर्थिक परतन्त्रता के कारण उसका सामाजिक व्यक्तित्व मूल्यहीन हो गया है; अरक्षित रह गया है। भारतीय मुस्लिम महिलाओं की दशा तो और भी शोचनीय है।

मैथिलीशरण गुप्त का कथन आज सार्थक सिद्ध हो रहा है–

अबला जीवन, हाय! तुम्हारी यही कहानी।
आँचल में है दूध और आँखों में पानी ॥

मैथिलीशरण गुप्त


समय बदलने के साथ आज विशेषत: नगरों में अर्थोपार्जन, समाज-सेवा, धर्म तथा राजनीति में भारतीय नारी ने समाज में अपना गौरवपूर्ण स्थान प्रतिष्ठापित किया है। अर्थोपार्जन कर उसने अपने महत्त्व को दर्शाया और अहं की सन्तुष्टि की ।

नर्स और डॉक्टर बनकर उसने रोग-पीड़ित जनों को स्नेह दिया, सहानुभूति दी। अध्यापिका बनकर छात्रों के ज्ञान के नेत्र खोले, उनमें विवेक जागृत किया | वैज्ञानिक बनकर अन्धविश्वास के तिमिर को मिटाया। व्यापारी बन देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में हाथ बँटाया।

सैनिक बन राष्ट्र की रक्षा में योगदान दिया। लिपिक और टाइपिस्ट बन्‌ कार्यालय-व्यवस्था का संचालन कियो। राजनीति में भाग लेकर राष्ट्र का मार्ग-दर्शन किया । जनसेवा, कार्य-क्षमता और दूरदर्शिता के कारण समाज में नारी का स्थान महत्त्वपूर्ण है। उसकी उपेक्षा से समाज-पंगु बन सकता है, प्रतिगामी हो सकता है।

भारतीय नारी : नारी का सौंदर्य

भारतीय नारी का हृदय प्रेम का रंगमंच है। नारी का सौन्दर्य आकर्षण का केन्द्र-बिन्दु है। नारी के चंचल कटाक्ष पत्थर-हृदय को भी घायल कर देते हैं। उसकी भाव-भंगिमा पुरुष को पागल बना देती है। उसकी मधुर मुस्कान पुरुष को पराजित कर देती है। उसे केवल नारी में सत्‌, चित्‌, आनन्द के दर्शन होते हैं। सत्य, शिव और सुन्दर की अनुभूति होती है।

दूसरी ओर अर्थोपार्जज और रति-सुख के लिए तथाकथित मॉडर्न (आधुनिक) भारतीय नारी ने अनुशासन हीनता का चोला पहना। शारीरिक सौन्दर्य के नाम पर नग्नता को अपनाया जिससे नारी के सम्मान और पावित्र्य पर प्रश्न-चिह्न लग गया।

कॉलिज में दुष्ट छात्रों की, कार्यालय में कामुक बॉस की कु-दृष्टि का शिकार बनी | दिन-दहाड़े अपहरण, बलात्कार होने लगे। गृह मंत्रालय के अपराध पंजीकरण ब्यूरो ने यह सत्य उद्घाटित किया कि भारत में हर 47 मिनिट में एक महिला बलात्कार का शिकार होती है और हर 44 मिनिट में औसतन एक महिला का अपहरण होता है। भारतीय नारी का चरित्र पतित हुआ, शालीनता नष्ट हुई।

भारतीय नारी : उपसंहार

भारतीय नारी के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए महादेवी जी लिखती है,

“आदिम काल से आज तक विकास-पथ पर पुरुष का साथ देकर, उसकी यात्रा को सरल बनाकर, उसके अभिशापों को झेलकर और अपने बरदानों से जीवन में अक्षय शक्ति भरकर मानव ने जिस व्यक्तित्व-चेतना और हृदय का विकास किया है, उसी का पर्याय नारी है।”

महादेवी वर्मा

भारतीय नारी समाज की आधार-शिला है । नारी से समाज का धर्म, सभ्यता, संस्कृति, परम्पराएँ और वंश टिके हैं । समाज का सौन्दर्य, समृद्धि और सौष्ठव उसी के कारण स्थिर है। इसलिए भारतीय समाज में नारी का स्थान अत्युच्च और श्रद्धान्वित है, पावन है और है सर्वमहान्‌।


यह भी पढ़ें

हिंदी निबंध पेज 

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सैकण्डरी एजुकेशन की नई ऑफिशियल वेबसाईट है : cbse.nic.in. इस वेबसाईट की मदद से आप सीबीएसई बोर्ड की अपडेट पा सकते हैं जैसे परिक्षाओं के रिजल्ट, सिलेबस, नोटिफिकेशन, बुक्स आदि देख सकते है. यह बोर्ड एग्जाम का केंद्रीय बोर्ड है.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *