रोबोट पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण । 600 Words Essay speech on Robot in Hindi
रोबोट से जुड़े छोटे निबंध जैसे रोबोट पर 600 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600 Words Essay speech on Robot in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600 Words Essay Speech on Robot in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
विज्ञान के क्षेत्र में मनुष्य इतना अधिक आगे बढ़ गया कि उसने अपना विकल्प तैयार करने का इरादा कर लिया। इसी इरादे की परिणति ‘रोबोट” है। रोबोट यंत्र- मानव है, जो मानव की भांति कार्य करता है। लेकिन रोबोट मानव नहीं है और उसे मानव कहा भी नहीं जा सकता। वह मानव का आज्ञाकारी सेवक मात्र है।
‘रोबोट’ शब्द चेक शब्द ‘रोबोटा’ (दासत्व) से व्युत्पन्न है। सर्वप्रथम ‘क्रीत दास’ के अर्थ में इसका प्रयोग हुआ है। चेक नाटककार कारल कायेक ने इस शब्द का इस्तेमाल अपने नाटक ‘आर. यू. आर. ‘ में किया था। सबसे पहले इस नाटक का मंचन सन 1921 में चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग में हुआ था। यही नाटक सन 1923 में लंदन में अभिनीत हुआ। देखते ही देखते यह नाटक काफी लोकप्रिय हो गया और लोग ‘रोबोट’ शब्द से भी परिचित हो गए। इस नाटक का सार यह है कि मनुष्य द्वारा आविष्कृत रोबोट यंत्र बाद में मनुष्य को अपना दास बनाकर स्वयं उसका स्वामी बन जाता है।
साहित्य में ‘रोबोट’ शब्द कारल कायेक के नाटक से भी बहुत पहले आया है। माना जाता है कि साहित्य में ‘रोबोट’ शब्द का प्रयोग सन 1818 में ही हो चुका था। इसको स्थापित करने के लिए यहां मैरी उलस्टोन क्राफ्ट शैली के ‘फ्रेंकस्टीन’ नामक उपन्यास का उल्लेख किया जा सकता है।
इस उपन्यास के नायक डॉ. विक्टर फ्रेंकस्टीन ने एक मृत व्यक्ति के शरीर में प्राण का संचार करके एक कृत्रिम मनुष्य या रोबोट बनाया था। इसके बाद से ही साहित्य और विज्ञान में ‘रोबोट’ शब्द ने एक विशेष स्थान प्राप्त कर लिया। मनुष्य की कल्पना में तो रोबोट का जन्म पहले ही हो चुका था, लेकिन इसके वास्तविक रूपायन की उन्नति के लिए प्रविधि विज्ञान की अपेक्षा थी।

कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स के वर्तमान युग में ‘रोबोट’ का निर्माण एवं उपयोग दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। अब नई खोज यह हो रही है कि कैसे इसमें कृत्रिम मस्तिष्क का संयोजन किया जाए। यह कृत्रिम मस्तिष्क रोबोट को मनुष्य के निर्देशानुसार चलने को बाध्य करेगा। अतएव अब बुद्धिमान रोबोट (यंत्र-मानव) के निर्माण के लिए लगातार अनुसंधान चल रहा है। वैज्ञानिकों का निरंतर प्रयास है कि विज्ञान की नई शाखा ‘रोबोटिक्स’ समृद्ध हो जाए।
संभवत: पहला रोबोट पशुस्नायु विज्ञानी विलियम ग्रे वाल्टर ने तैयार किया था। इस स्वचालित यंत्र का नाम उन्होंने ‘टोस्टिडडो’ रखा था। लैटिन भाषा के इस शब्द का अर्थ है- कछुआ। उनका यंत्र जीवित प्राणियों की अनेक प्रतिक्रियाओं की नकल कर सकता था। वाल्टर के इस यंत्र ने एक नये पथ का दिग्दर्शन किया, जिससे रोबोट विज्ञान में नई खोज शुरू हुई। कंप्यूटर में उन्नति के साथ-साथ रोबोट विज्ञान में भी प्रगति हुई। रोबोट का मस्तिष्क एक प्रकार का कंप्यूटर ही है। विज्ञान जगत में रोबोट की भूमिका अपरिसीम है। नॉरबर्ट विनर, जॉन वॉन, न्यूमैन, एलेन टूरिंग, क्लॉड एलवुड आदि वैज्ञानिकों ने भी अपने विभिन्न अनुसंधानों से इस विज्ञान को काफी आगे बढ़ाया।
रोबोट की बनावट के विषय में साधारणतया यह धारणा प्रचलित है कि यह देखने में हूबहू आदमी की तरह होता है। दरअसल ऐसी बात नहीं है। जरूरत के मुताबिक ही रोबोट का अंग-प्रत्यंग निश्चित होता है। कोई रोबोट ऐसी भी होता है, जिसका सिर्फ एक हाथ होता है और कोई रोबोट ऐसा होता है, जिसके सिर्फ चार पैर होते हैं। किसी रोबोट में पैरों की जगह पहिये लगे रहते हैं। अतः विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए विभिन्न बनावट के रोबोट यंत्रों का हैं उपयोग किया जाता है। रोबोट मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं—पहला टाइल, दूसरा आर्म और तीसरा मोबाइल।
वर्तमान समय में रोबोट का उपयोग अनेक कारणों से अपरिहार्य हो गया है। अत्यंत गरम अथवा सक्रिय परिवेश में जहां आदमी के लिए काम करना एकदम संभव नहीं है, वहां आदमी के विकल्प के रूप में रोबोट का उपयोग किया जाता है। संप्रति शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में सटीक ऑपरेशन के लिए रोबोट के निर्देशों का सहारा लिया जा सकता है। इनके अतिरिक्त बिल्कुल अज्ञात और अपरिचित परिवेश में काम करने के लिए मनुष्य के बजाय दूर नियंत्रित रोबोट को भेजा जाता है।
वहां यंत्र-मानव पहले सब आवश्यक तथ्यों को इकट्ठा करता है, फिर अपने पदक्षेप के लिए वैज्ञानिकों की मदद करता है। मंगल ग्रह से प्रयोजनीय तथ्यों को लाने के लिए पहले रोबोट का ही प्रयोग हुआ था। रोबोट ने ही समुद्र के अतल गर्भ से दुर्घटनाग्रस्त विमान (कनिष्क) के भग्नावशेष को ऊपर निकाला था।
रोबोट एक उन्नत युग का संदेश लेकर आ रहा है। उस समय यंत्र मानव मनुष्य के निर्देशानुसार कार्य करेगा या मनुष्य ही इस यंत्र का ‘क्रीत दास’ बन जाएगा- इस विषय पर विचार-विमर्श हो रहा है। रोबोट विज्ञान के आधुनिक युग के अन्वेषकों ने यह भी माना है कि जब हम सचमुच अति उन्नत बुद्धिमान रोबोट बनाने में सफल हो जाएंगे, तब हमें डॉ. आइजक एसिमॉव के तीन सूत्रों को याद रखना पड़ेगा। ये सूत्र निम्नलिखित हैं →
1-रोबोट कभी किसी मनुष्य को चोट नहीं पहुंचाएगा अथवा निष्क्रिय रहकर उसे खतरे में नहीं डालेगा।
2-रोबोट हमेशा मनुष्य के आदेश का अक्षरशः पालन करेगा, यदि वह आदेश पहले सूत्र का विरोध न करे।
3- रोबोट सदा अपने अस्तित्व की रक्षा करेगा। यदि आत्मरक्षा का वह प्रयत्न पहले और दूसरे सूत्र का विरोध न करे।
इस प्रकार रोबोट आधुनिक युग का एक नवीनतम विस्मय है और विज्ञान तथा प्रविधि की एक उन्नत अभिव्यक्ति ।
FAQ:-
रोबोट क्या होता है?
रोबोट एक आभासी (virtual) या यांत्रिक (mechanical)कृत्रिम (artificial) एजेंट है व्यवहारिक रूप से, यह प्रायः एक विद्युत यांत्रिकी निकाय (electro-mechanical system) होता हैI
दुनिया का सबसे खतरनाक रोबोट कौन सा है?
एड्रान वह रोबोट है, जिसे इंजीनियर आर्ट्स ‘मेस्मर’ के रूप में बताता है और इस रोबोट को पूरी तरह से इंसानों जैसा ही बनाने की कोशिश की जा रही है। जो शक्तिशाली होने के साथ साथ दिखने में सुंदर और प्रभावी लग सके।
रोबोट का मस्तिष्क क्या होता है?
रोबोट का मस्तिष्क — कंप्यूटर है। रोबोट का शरीर — लोहा-इस्पात और प्लास्टिक का बना होता है।
भारत का पहला रोबोट कौन सा है?
मानव रोबोट भारत का पहला रोबोट है I
यह भी पढ़ें :-
कंप्यूटर पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण
सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण
प्रथम शैक्षणिक उपग्रह पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण
मै आशा करती हूँ कि रोबोट पर लिखा यह निबंध ( रोबोट पर 600 शब्दों में निबंध,भाषण । 600 Words Essay speech on Robot in Hindi) आपको पसंद आया होगा I साथ ही साथ आप यह निबंध/लेख अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ जरूर साझा (Share) करेंगें I
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सैकण्डरी एजुकेशन की नई ऑफिशियल वेबसाईट है : cbse.nic.in. इस वेबसाईट की मदद से आप सीबीएसई बोर्ड की अपडेट पा सकते हैं जैसे परिक्षाओं के रिजल्ट, सिलेबस, नोटिफिकेशन, बुक्स आदि देख सकते है. यह बोर्ड एग्जाम का केंद्रीय बोर्ड है.
संघ लोक सेवा आयोग का एग्जाम कैलेंडर {Exam Calendar Of -UNION PUBLIC COMMISSION (UPSC) लिंक/Link