जनसंख्या नियंत्रण पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण

जनसंख्या नियंत्रण पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण । 600 Words Essay speech on Population Control  in Hindi

जनसंख्या नियंत्रण पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण – 600 Words Essay speech on Population Control  in Hindi

जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े निबंध जैसे जनसंख्या नियंत्रण पर  600 शब्दों में  निबंध,भाषण  स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, और 12 में  पूछे जाते है। इसलिए आज हम  600 Words Essay speech on Population Control  in Hindi के बारे में बात करेंगे ।

600 Words Essay Speech on Population Control in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12

भारत में राष्ट्रीय स्तर की अनेक समस्याएं हैं, जिनका जन्म कुव्यवस्थाओं के कारण हुआ है। लेकिन उन समस्याओं में सबसे बड़ी, गंभीर और खतरनाक समस्या है- जनसंख्या वृद्धि की। भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या एक कोढ़ है, जबकि उसमें शरणार्थियों की समस्या खाज के समान है।

जनसंख्या नियंत्रण या परिवार नियोजन का अर्थ है-बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण पाना। किसी भी राष्ट्र के लिए जनसंख्या का होना अत्यंत आवश्यक है। यदि जनसंख्या विहीन हो जाने पर राष्ट्र का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, तो जनसंख्या के बेकाबू हो जाने पर राष्ट्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। जैसे पानी के बिना नदी की कल्पना करना असंभव है, वैसे ही जनसंख्या के बिना किसी राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रजा विहीन मथुरा-मंडल का राज्य वज्रनाभ को निर्जन वन सा लगता है। इसीलिए वे दुखी होकर राजा परीक्षित से कहते हैं, “राज्य का सुख तभी है, जब प्रजा रहे।”

अब यह भी प्रश्न उठता है कि किसी राष्ट्र में कितनी जनसंख्या होनी चाहिए। इस संबंध में सुप्रसिद्ध चिंतक गार्नर का विचार है कि किसी राज्य की जनसंख्या उतनी ही होनी चाहिए, जितनी साधन-संपन्नता राज्य के पास हो। जनसंख्या किसी देश के लिए वरदान होती है, परंतु जब यह अधिकतम सीमा रेखा को पार कर जाती है, तब यह अभिशाप बन जाती है।

जनसंख्या नियंत्रण पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण
जनसंख्या नियंत्रण पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण

वर्तमान में जनसंख्या-विस्फोट भारत के लिए एक समस्या बनी हुई है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में दूसरा है, जबकि क्षेत्रफल में यह विश्व में सातवें स्थान पर है। बढ़ती हुई जनसंख्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की आबादी मात्र 36 करोड़ थी, जो आज एक अरब 15 करोड़ से अधिक हो चुकी हैं। भारत का क्षेत्रफल दुनिया के क्षेत्रफल का 2.5 प्रतिशत है, जबकि विश्व की 15 प्रतिशत आबादी भारत में ही बसती है। अगर भारत में जनसंख्या इसी तरह बढ़ती रही, तो वह समय दूर नहीं, जब यहां के निवासियों को रहने तक की जगह नहीं मिलेगी।

विशाल जनसंख्या के कारण हमारे देश को अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। अत्यधिक जनसंख्या बढ़ने से हमारी आर्थिक प्रगति रुकी हुई है। • बेरोजगारी का समूल विनष्टीकरण असंभव सा प्रतीत हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि के कारण दिनों-दिन मकान आदि बनते जा रहे हैं, जिससे कृषि योग्य भूमि घट रही है। उद्योग धंधों में अधिक मजदूर होने से उन्हें उचित पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा है। शरणार्थियों की संख्या बढ़ने से उनके रहने के लिए पर्याप्त भूमि नहीं मिल पा रही है। जनसंख्या-विस्फोट से व्यक्ति को तन ढकने के लिए कपड़ा, रहने के लिए मकान और खाने के लिए रोटी नहीं नसीब हो रही है।

अब प्रश्न उठता है कि इस जनसंख्या वृद्धि के कौन-कौन से कारण हैं। अशिक्षा के कारण प्राय: भारत के अधिकांश व्यक्ति रूढ़िवादी प्रवृत्ति के हैं। वे अंधविश्वास में फंसकर पुत्र की लालसा में कई बेटियां पैदा करते हैं। इस कारण वे परिवार नियोजन का महत्व नहीं समझते। जनसंख्या वृद्धि के अनेक अन्य कारण भी हैं-संयुक्त परिवार प्रथा, परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रति उदासीनता, भाग्यवादी दृष्टिकोण तथा भौगोलिक स्थिति आदि।

600 Words Essay speech on Population Control  in Hindi

वर्तमान समय में इस समस्या का समाधान अत्यंत आवश्यक हो गया है, अन्यथा विकास कार्यक्रम के सारे लाभ जनसंख्या-विस्फोट रूपी सुरसा द्वारा निगल लिए जाएंगे। अतः सरकार और जनता दोनों को इससे लड़ना होगा। इस दिशा में सरकार का प्रयास जारी है। शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है। बाल विवाह और बहु विवाह पर कानूनी पाबंदी लगाई गई है। परिवार नियोजन का भी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उस पर अनेक आकर्षक नारे भी लिखे रहते हैं। परिवार नियोजन के मूल वाक्य इस प्रकार हैं –

एक या दो बच्चे, होते हैं घर में अच्छे ।

FAQ:-

जनसंख्या नियंत्रण का क्या अर्थ है?

जनसंख्या नियंत्रण या परिवार नियोजन का अर्थ है-बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण पाना। किसी भी राष्ट्र के लिए जनसंख्या का होना अत्यंत आवश्यक है।

किसी राष्ट्र में कितनी जनसंख्या होनी चाहिए?

सुप्रसिद्ध चिंतक गार्नर का विचार है कि किसी राज्य की जनसंख्या उतनी ही होनी चाहिए, जितनी साधन-संपन्नता राज्य के पास हो। जनसंख्या किसी देश के लिए वरदान होती है, परंतु जब यह अधिकतम सीमा रेखा को पार कर जाती है, तब यह अभिशाप बन जाती है।

जनसंख्या वृद्धि के कौन-कौन से कारण हैं?

अशिक्षा के कारण प्राय: भारत के अधिकांश व्यक्ति रूढ़िवादी प्रवृत्ति के हैं। वे अंधविश्वास में फंसकर पुत्र की लालसा में कई बेटियां पैदा करते हैं। इस कारण वे परिवार नियोजन का महत्व नहीं समझते। जनसंख्या वृद्धि के अनेक अन्य कारण भी हैं-संयुक्त परिवार प्रथा, परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रति उदासीनता, भाग्यवादी दृष्टिकोण तथा भौगोलिक स्थिति आदि।

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