प्रथम शैक्षणिक उपग्रह पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण – 600 Words Essay speech on First educational satellite in Hindi
प्रथम शैक्षणिक उपग्रह से जुड़े छोटे निबंध जैसे प्रथम शैक्षणिक उपग्रह पर 600 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600 Words Essay speech on First educational satellite in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600 Words Essay Speech on First educational satellite in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
‘एड्सैट’ (EDUSAT)भारत का स्वदेश निर्मित प्रथम शैक्षणिक उपग्रह है। इसका मुख्य उद्देश्य स्कूलों, कॉलेजों तथा उच्च शिक्षा स्तरों के बीच संबंध स्थापित करना है और विकासात्मक दूर संचार को प्रोत्साहन देना है।
विश्व के इस प्रथम शैक्षणिक उपग्रह एडूसैट का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान अर्थात इसरो के बंगलौर स्थित केंद्र में किया गया था। इसका कार्यकाल 7 वर्ष बताया गया है। इसके कार्यशील होने से दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है। इसके माध्यम से घर बैठे क्लास रूम का अनुभव किया जा सकता है। टेलीविजन स्टूडियो में बैठे शिक्षक दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के हजारों विद्यार्थियों को संबोधित कर सकते हैं। इसके लिए शिक्षण संस्थानों को अपने यहां रिसीविंग टर्मिनल्स स्थापित करना होगा। इससे परस्पर संवाद जुड़ जाएगा।
इस शैक्षणिक उपग्रह एडूसैट का प्रक्षेपण श्री हरिकोटा (आंध्र प्रदेश) स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था। इस उपग्रह को प्रक्षेपित करने का कार्य विक्रम साराभाई स्पेशल सेंटर (तिरुअनंतपुरम) ने किया। इसरो के अध्यक्ष जी.एस. माधवन नायर ने एडूसैट उपग्रह को पूर्णतः सफल बताया है। 1950 कि.ग्रा. वजन वाले इस उपग्रह को स्वदेश निर्मित भू-समस्थानिक उपग्रह प्रक्षेपण यान की सहायता से भू-समस्थानिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित किया गया। इस कक्षा में एडूसैट उपग्रह की दूरी पृथ्वी से अधिकतम 35,985 कि.मी. तथा न्यूनतम 18,054 कि.मी. होती है।
भारत में वर्तमान में विश्वेश्वरैया विश्वविद्यालय (कर्नाटक), यशवंत राव चहाण विश्वविद्यालय (महाराष्ट्र) तथा राजीव गांधी तकनीकी विश्वविद्यालय की पायलट परियोजनाओं को एड्सैट के माध्यम से चलाया जा रहा है। आधुनिक शिक्षा जगत में अध्यापकों की कमी को देखते हुए एड्सैट का महत्व अधिक बढ़ जाता है। अगर 100 कॉलेजों में रिसीविंग टर्मिनल्स स्थापित कर दिए जाएं, तो 10,000 विद्यार्थियों को एक ही अध्यापक पढ़ाने के लिए पर्याप्त है।
इस विधि से अच्छे अध्यापकों की कमी भी दूर की जा सकती है। एडूसैट के पांच स्पॉट बीमों में से प्रत्येक से 100-200 कक्षाओं को जोड़ा जा सकता है। इस प्रकार यह अनुमान किया जा रहा है कि 50,000 विद्यार्थियों को शिक्षा उपलब्ध कराई जा सकती है। एडूसैट से प्राथमिक शिक्षा को भी लाभ हो सकता है। इसका एक उदाहरण कर्नाटक का चमराज नगर जिला है, जहां 900 प्राइमरी स्कूलों में रिसीविंग टर्मिनल लगाया जा चुका है। इतना तो तय है कि एड्सैट से दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्रों में निश्चित रूप से क्रांति लाई जा सकती है।
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