पर्यावरण प्रदूषण पर 600 शब्दों में निबंध, भाषण – 600 Words Essay speech on ENVIRONMENTAL POLLUTION in Hindi
प्रदूषण से जुड़े निबंध जैसे पर्यावरण प्रदूषण पर 600 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600 Words Essay speech on ENVIRONMENTAL POLLUTION in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600 Words Essay Speech on ENVIRONMENTAL POLLUTION in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
पर्यावरण से मानव का सीधा और अटूट संबंध है। मनुष्य सगे-संबंधियों और परिवार जनों से संबंध विच्छेद करके जीवित रह सकता है, लेकिन पर्यावरण में संबंध विच्छेद कर वह पलभर भी नहीं जी सकता। पर्यावरण के अंदर मानव के लिए अत्यावश्यक प्राणवायु है, जिसके बिना वह जीवित नहीं रह सकता। अस्वस्थ मनुष्य रुग्णावस्था में भी जी सकता है, लेकिन अस्वस्थ पर्यावरण के बीच स्वस्थ मनुष्य का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है।
पर्यावरण का अर्थ है-हमारे चारों ओर का वातावरण, जिसमें वायु, जल और मिट्टी है। हम इन चीजों से आच्छादित हैं। ये तीनों चीजें सजीवों के लिए आधार तत्व हैं। जब मिट्टी, जल और वायु हमारे लिए हितकर के बजाय अहितकर हो जाएं, तो उसे ‘पर्यावरण प्रदूषण’ कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, 1 प्रकृतिक संसाधनों का अनुपयुक्त हो जाना ही ‘प्रदूषण’ कहलाता है।
पर्यावरण प्रदूषण द्वारा वायु, जल और मिट्टी के अंदर निहित तन्वों का अनुपात असंतुलित हो जाता है। उदाहरणार्थ- हवा में मानव के लिए उपयोगी प्राणवायु विद्यमान है। अगर हवा में आवश्यक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाए, मानव जीवन को खतरा उत्पन्न हो जाता है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए आज के विज्ञान की भौतिकतावादी भूमिका मुख्य रूप से जिम्मेदार है। मनुष्य अपने रेगी-आप के लिए विज्ञान के माध्यम से प्रकृति का दोहन कर रहा है। तो

मानव को अब प्रकृति की गोद में बसे गांव की अपेक्षा कृत्रिमता में डूबे हर अच्छे लग रहे हैं। अब उसे करवा के वस्त्रों के बजाय बड़े-बड़े सिंथेटिक मिली के कपड़े भा रहे हैं। खेतों में प्राकृतिक खादों के बदले रासायनिक खादों का प्रयोग हो रहा है। परमाणु हथियारों से युक्त राष्ट्र कमजोर देशों के सिर पर चढ़कर बोल रहे हैं। ये उपलब्धियां जारी एक और हमारी वैज्ञानिक उन्नति के मापदंड माने जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ये पर्यावरण को प्रदूषित कर संपूर्ण
मानव जाति के अतिप्रस्नचिह्न लगा रहे हैं। आ में स्थित ओजोन परत का छिद्र युक्त हो जाना इसका ज्वलंत उदाहरण है। इस भयावह स्थिति के लिए विज्ञान के साथ ही साथ मनुष्य भी पूर्णतया जिम्मेदार है। पर्यावरण प्रदूषण मुख्यतः चार प्रकार के हैं मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण।
उपज बढ़ाने के लिए खेतों में प्राकृतिक खादों के बदले रासायनिक खादों के प्रयोग एवं फसलों पर कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से मिट्टी की स्वाभाविक उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। इससे बचने के लिए प्राकृतिक एवं रासायनिक खादों के प्रयोग में संतुलन स्थापित करना होगा तथा कीटनाशक दवाओं से भी बचना होगा। तभी मृदा प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
कहा गया है कि जल ही जीवन है। लेकिन आज बड़े बड़े शहरों की नालियों का पानी एवं कल-कारखानों से निकले कचरे तथा विषैले रासायनिक द्रवों को सीधे नदियों एवं झीलों में प्रवाहित कर देने से इनका जल प्रदूषित हो गया गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां भी आज जल प्रदूषण से वंचित नहीं हैं। ऐसे में प्रदूषित जल के सेवन से जल जनित रोग-टी.बी., मलेरिया, टाइफॉइड और हैजा आदि फैलने लगते हैं।
वायु के बिना एक क्षण भी जीवित रहना असंभव है। आज यह प्राण तत्व भी दूषित हो चला है। कल कारखानों की बड़ी-बड़ी चिमनियों, मोटरगाड़ियाँ, वायुयानों एवं रेल के इंजनों से निकलने वाले धूल-धुएं वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। बड़े-बड़े महानगर इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, जहां का पर्यावरण वाहनों द्वारा विषैला होता जा रहा है। प्रदूषित वायु में सांस लेने से फेफड़े एवं गले से संबंधित कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं।
ध्वनि प्रदूषण भी एक प्रकार का वायु प्रदूषण है, जो रेडियो, टेलीविजन, मोटरों के हॉर्न एवं जेट हवाई जहाजों के शोर से उत्पन्न होते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विश्वव्यापी है, अतएव इसके समाधान के लिए विश्व स्तरीय प्रयास होने चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण के महाविनाश से चिंतातुर विश्व के 175 देशों के प्रतिनिधि ब्राजील में इस ज्वलंत समस्या पर विचार हेतु एकत्रित हुए। इस महासम्मेलन में भारत के परामर्श से ‘ पृथ्वी कोष’ की स्थापना पर आम सहमति हुई। अत: इसे इस समस्या के समाधान की दिश में एक अच्छी शुरुआत मानी जा सकती है।
पर्यावरण प्रदूषण पर काबू पाने के लिए विकसित और विकासशील राष्ट्र को आणविक विस्फोटों एवं रासायनिक अस्त्रों के खतरनाक प्रयोगों पर प्रतिबंध लगाने होंगे। कल-कारखानों एवं शहरों के गंदे जल का परिशोधन करके नदियों में गिराना होगा। इसके अतिरिक्त हरे वनों की कटाई पर अविलंब कानूनी रोक लगानी होगी, क्योंकि पृथ्वी पर सिर्फ हरियाली बढ़ाकर ही पर्यावरण के दो तिहाई प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
पुराणों में कहा गया है- जब तक पृथ्वी हरे भरे वनों एवं पहाड़ों से युक्त रहेगी, तब तक मानव संतान का पालन पोषण होता रहेगा। सारांशतः प्रकृति की ओर मुड़कर और मनुष्यता की ओर बढ़कर वर्तमान प्रदूषण पर रोक लगाई जा सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि पर्यावरण प्रदूषण के कुप्रभाव से जन-जन को अवगत कराया जाए, साथ ही बचाव के उपाय भी बताए जाएं।
FAQ:-
पर्यावरण प्रदूषण क्या है Hindi?
पर्यावरण प्रदूषण द्वारा वायु, जल और मिट्टी के अंदर निहित तन्वों का अनुपात असंतुलित हो जाता है। उदाहरणार्थ- हवा में मानव के लिए उपयोगी प्राणवायु विद्यमान है। अगर हवा में आवश्यक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाए, मानव जीवन को खतरा उत्पन्न हो जाता है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए आज के विज्ञान की भौतिकतावादी भूमिका मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
पर्यावरण प्रदूषण क्या है और इसके प्रकार?
पर्यावरण प्रदूषण क्या है और इसके प्रकार?
पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार का होता है मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण के 4 भाग होते हैं. जिसमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ये 4 तरह के प्रदूषण के होते हैंI
पर्यावरण प्रदूषण के कारण क्या हैं?
पर्यावरण प्रदूषण के अन्य स्वरूपों के साथ ध्वनि प्रदूषण भी हमारे लिये बड़े खतरे का कारण है। अधिक शोर से हमारे मस्तिष्क पर घातक प्रभाव पड़ता है तथा सुनने की शक्ति लगातार घटती जाती है जिससे धीरे-धीरे बहरापन आ जाता है। ध्वनि प्रदूषण से हृदय गति बढ़ जाती है जिससे रक्तचाप, सिरदर्द एवं अनिद्रा जैसे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के उपाय?
शोधन के पूर्व औद्योगिक अपशिष्टों को जल में नहीं छोडना चाहिए।
जल स्रोतों में पशुओं को भी नहीं धोना चाहिए।
कीटनाशियों, कवकनाशियों इत्यादि के रूप में निम्नीकरण योग्य पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए । खतरनाक कीटनाशियों के उपयोग में प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।
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