सदाचार पर 600-700 शब्दों में निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Virtue in Hindi
सदाचार से जुड़े छोटे निबंध जैसे सदाचार पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600-700 Words Essay speech on Virtue in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600-700 Words Essay Speech on Virtue in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
‘सदाचार’ में दो शब्द हैं-सत् और आचार सत् का अर्थ है- सत्य और आचार का अर्थ है-आचारण या व्यवहार इस प्रकार सत्य से युक्त आचरण ही ‘सदाचार’ कहलाता है। सदाचार या सच्चरित्रता मानव का एक परम गुण है। सदाचारी मनुष्य ही सर्वत्र आदर के पात्र होते हैं। सदाचार से ही मानव और दानव के बीच का अंतर स्पष्ट होता है। ‘महाभारत’ ग्रंथ के वन पर्व के अंतर्गत यक्ष और धर्मराज युधिष्ठिर के मध्य संवाद हैं। इस संवाद के श्लोक 108 एवं 109 में यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न किया, “सदाचार, स्वाध्याय और शास्त्र श्रवण में से किसके द्वारा ब्राह्मणत्व सिद्ध होता है ?”
इस पर धर्मराज युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, “हे तात्! ब्राह्मणत्व का कारण न तो स्वाध्याय है और न ही शास्त्र श्रवण। ब्राह्मणत्व का हेतु मात्र सदाचार है, इसमें कोई संशय नहीं है।”
सदाचार के कुछ सामान्य नियम हैं। सत्यवादिता सदाचारी का प्रथम लक्षण है। सदाचारी व्यक्ति कभी अपने जीवन में झूठ को स्थान नहीं देते। वे अपने परिश्रम की कमाई खाते हैं। उनका जीवन सादा और विचार उच्च होते हैं। वे सांसारिक भोगों से कोसों दूर रहते हैं। सदाचारी व्यक्ति कभी अपना समय व्यर्थ नहीं खोते। उनका जीवन नियमित एवं संयमित होता है।
वे किसी भी काम को कल के सहारे नहीं छोड़ते। वे अपना काम स्वयं करते हैं और यथासंभव प्रत्येक व्यक्ति के साथ मधुर व्यवहार करते हैं। इससे वे सबके प्रियजन बन जाते हैं। ईश्वर का पूजन-अर्चन भी सदाचार में आता है। सदाचारी व्यक्ति अपनी इंद्रियों को वश में रखते हैं। काम, क्रोध, लोभ, मोह, असंतोष, निर्दयता, अशौच, अभिमान, शोक, स्पृहा, ईर्ष्या और निंदा–ये बारह तत्व सदाचार के दुश्मन हैं। जो लोग इन्हें त्याग देते हैं, वही ‘सच्चे सदाचारी’ कहलाते हैं।
सदाचार के अभाव में धन, संपत्ति, वैभव या अन्य उपलब्धियां निरर्थक हो जाती हैं। कहा भी गया है-सच्चरित्रता या सदाचार के अभाव में विद्या एवं धन अंधे हैं तथा ऐसा धन और विद्या संसार के लिए हानिकारक है।’आंख का अं और गांठ का पूरा’ कभी समाज में प्रतिष्ठा या आदर नहीं पा सकता। यही कारण है कि रावण जैसा धनवान, पराक्रमी और विद्वान व्यक्ति सदाचार के अभाव में आदर का पात्र नहीं बन सका। इसके विपरीत मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने सदाचार के सहारे ही विश्ववंद्य हो गए।
‘आचारहीनं न पुनंति वेदाः ‘ कथन का सीधा-सादा अर्थ है कि आचारहीन का उद्धार वेद भी नहीं कर सकते। लेकिन इसका संकेतार्थ है कि केवल जान लेने से उद्धार नहीं होता, जानने के साथ जीवन अर्थात व्यवहार में भी उतारना जरूरी है। ज्ञान की सार्थकता ही आचरण से है। उपनिषद के ऋषियों ने कहा है, “नावृतो दुश्चारितान्” अर्थात ज्ञान आचरणहीन व्यक्ति का वरण नहीं करता।
आचरणहीन के ज्ञान को जानकारी कहा जा सकता है, वह ज्ञान की परिभाषा में समाहित नहीं होता, बिल्कुल उसी तरह जैसे तैराकी के बारे में कोई जानता तो बहुत कुछ हो, लेकिन उसे स्वयं तैरना न आता हो। माता सीता लंका में क्या लेकर गई थीं? यह उनका सदाचार ही था, जिसने विपरीत परिस्थितियों को अनुकूलता में परिवर्तित कर दिया। आसुरी स्वभाव वाली राक्षसियां भी उनके हित का चिंतन करने लगीं-त्रिजटा में तो मातृभाव ही जाग गया।
सारांशत: इस मानव जीवन रूपी वृक्ष पर जब तक सदाचार रूपी फल फूल नहीं लगेंगे, तब तक मानव जीवन की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी। अतः सदाचार ही मानव जीवन का एकमात्र आधार है।

सदाचार पर अनमोल वचन – Quotes on Sadachaar in Hindi
सदाचार से मनुष्य सर्वोच्च प्राणी बन जाता है इस देश दुनिया में कुछ कर दिखाता हैI
सदाचारी व्यक्ति की संगति से बदलाव आएगा वह भी संगति से जीवन में आगे बढ़ता जाएगाI
सदाचारी व्यक्ति का हर कोई सम्मान करता है देश दुनिया में हर कोई उसका सम्मान करता हैI
सदाचारी बनो जीवन में आगे बढ़ोI
सदाचार से मनुष्य सर्वोच्च प्राणी बन जाता है इस देश दुनिया में कुछ कर दिखाता हैI
सदाचारी व्यक्ति की संगति से बदलाव आएगा वह भी संगति से जीवन में आगे बढ़ता जाएगाI
सदाचारी व्यक्ति का हर कोई सम्मान करता है देश दुनिया में हर कोई उसका सम्मान करता हैI
सदाचारी बनो जीवन में आगे बढ़ोI
जीवन में आगे बढ़े चलें सदाचार अपनाते चलेंI
आओ हम सब एक बदलाव लाएं सदाचार का बदलाव लाएँI
सदाचार से यह दुनिया बदल जाएगी चारों और खुशियां ही खुशियां झलक जाएंगीI
सदाचार अपनाएं जीवन में आगे बढ़ते जाएंI
सदाचार के बगैर धन-संपत्ति बेकार है सदाचार ही जीवन का आधार हैI
सदाचार से जीवन में बदलाव आता है चारों ओर खुशियों का बदलाव आता हैI
सदाचार अपनाना है देश दुनिया में कुछ कर दिखाना हैI
सदाचार से ही मनुष्य अलग होता है मनुष्य भी परमात्मा जैसा प्रतीत होता हैI
जो रखे सदाचार जीवन में वह ना हो कभी निराशI
सदाचार मानव का महान गुण है सदाचार ही मानव का सर्वोत्तम गुण हैI
सदाचार पर अनमोल वचन – Quotes on Sadachaar in Hindi
FAQ
सदाचार से आप क्या समझते हैं?
‘सदाचार’ में दो शब्द हैं-सत् और आचार सत् का अर्थ है- सत्य और आचार का अर्थ है-आचारण या व्यवहार इस प्रकार सत्य से युक्त आचरण ही ‘सदाचार’ कहलाता है।
सदाचार में कौन सी संधि है?
सत् + आचार = सदाचार
सदाचार में व्यंजन संधि है I
सदाचार का विलोम क्या होगा?
सदाचार का विलोम शब्द – कदाचार, दुराचार, अत्याचार है I
सदाचार में कौन सा उपसर्ग है?
सदाचार में ‘सत’ उपसर्ग है।
‘सच्चे सदाचारी’ कौन कहलाते हैं?
काम, क्रोध, लोभ, मोह, असंतोष, निर्दयता, अशौच, अभिमान, शोक, स्पृहा, ईर्ष्या और निंदा–ये बारह तत्व सदाचार के दुश्मन हैं। जो लोग इन्हें त्याग देते हैं, वही ‘सच्चे सदाचारी’ कहलाते हैं।
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