600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav

संगति का प्रभाव पर  600-700 शब्दों में  निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav in Hindi

संगति का प्रभाव पर  600-700 शब्दों में  निबंध, भाषण – 600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav in Hindi

संगति का प्रभाव से जुड़े छोटे निबंध जैसे संगति का प्रभाव पर  600-700 शब्दों में  निबंध,भाषण  स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, और 12 में  पूछे जाते है। इसलिए आज हम  600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav in Hindi के बारे में बात करेंगे ।

600-700 Words Essay Speech on Sangati ka Prabhav in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12

‘संगति’ का अर्थ है-सहचर्य का भाव मनुष्य अपने दैनिक जीवन में जिसके साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करता है, वह उसकी ‘संगति’ कहलाती है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह बिना संगति के नहीं जी सकता। अब यह विचारणीय प्रश्न है कि मानव किसके साथ संगति करे और किसके साथ न करे। क्योंकि संगति से ही गुण और दोष उत्पन्न होते हैं। संगति के विषय में एक अंग्रेज चिंतक का विचार है, “किसी व्यक्ति की

पहचान उसकी संगति से होती है। ” संगति दो प्रकार की होती है-सुसंगति और कुसंगति।

सज्जनों की संगति ‘सुसंगति’ कहलाती है और दुर्जनों की संगति ‘कुसंगति’ कहलाती है। सुसंगति मनुष्य को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करती है, जबकि कुसंगति उसे कुमार्ग की ओर ले जाती है। इसलिए साधुओं की संगति में रहने वाले लोग साधु बन जाते हैं तथा दुष्टों की संगति में रहने वाले दुष्ट बन जाते हैं; यथा गगन चढ़ई रज पवन प्रसंगा। कीचहिं मिलई नीच जल संगा ॥

अर्थात पवन की संगति से वसुधा वक्ष पर आच्छादित धूलकण आकाश की ऊंचाई छू लेता है, परंतु वही रजकण वर्षा जल के साथ कीचड़ में बदल जाता है। स्वाति नक्षत्र की बूंदें संगति के अनुरूप ही अपना रूप ग्रहण करती हैं; यथा-कदली में कपूर, सीप में मोती तथा भुजंग में विष बनती हैं।

सुसंगति का मानव-जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में शठ को भी सुधरते देखा गया है, जैसे पारस के स्पर्श से लोहा भी स्वर्ण बन जाता है। इस संबंध में ‘रामचरित मानस’ में गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं सठ सुधरहिं सत संगति पाई।

पारस परसि कुधातु सुहाई॥

इसी प्रकार कंचन के संसर्ग में कांच भी मरकत मणि की आभा प्राप्त कर लेता है और कीट भी सुमन के संसर्ग से देवताओं के शीश सुसंगति के प्रभाव से संबंधित कई उदाहरण हमारे इतिहास के पन्नों स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। श्रीकृष्ण की संगति पाकर अर्जुन महाभारत का विजेता बना। हनुमान, विभीषण, सुग्रीव आदि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की सुसंगति पूज्य बन गए। देवर्षि नारद की सुसंगति पाकर वाल्मीकि डाकू से आदिकवि बन गए। इसी प्रकार अंगुलिमाल भगवान बुद्ध की संगति में सद्गति को प्राप्त हुआ। रामकृष्ण परमहंस की संगति में नरेंद्र ही स्वामी विवेकानंद बन गया। चाणक्य के संसर्ग से चंद्रगुप्त भारत का सम्राट बना।

इसके विपरीत कुसंगति से जीवन में हानि है। मामा शकुनि के संसर्ग में रहकर दुर्योधन अपने कुल का नाश कर बैठा। समुद्र लंका से जुड़ा था, अतः रावण के साथ समुद्र को भी श्रीराम का कोप भाजन बनना पड़ा

बसि कुसंग चाहत कुशल, यह रहीम अफसोस । महिमा घटी समुद्र की, रावण बसा पड़ोस ॥

कहां दूध और कहां मदिरा? लेकिन यदि यह दूध कलवारिन के हाथ लग जाए, तो लोग उसे मदिरा समझने लगते हैं

रहिमन नीच न संग बसि, लगत कलंकन काहिं ।

दूध कलारिन हाथ लखि, मद समुझहिं सब ताहिं

अतः समग्र प्रगति की कुंजियों में एक है-सुसंगति। इससे लौकिक एवं पारलौकिक दोनों उन्नयन संभव है। इसलिए हमें अपने जीवन के एक-एक क्षण को सुसंगति में बिताना चाहिए

एक घड़ी आधों घड़ी, आधों में पुनि आध। तुलसी संगति साधु की, हरै कोटि अपराध ॥

600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav
600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav

संगति पर अनमोल वचन- Sangati Quotes in Hindi

# संगति यह तय करती है कि आपका जीवन बेहतर होगा या बदतरI

# बुरी संगति थोड़े समय के लिए हमें फायदा पहुँचा सकती है, लेकिन अंततः यह हमें बर्बाद कर देती हैI

# मंथरा की संगति ने कैकेयी को हमेशा के लिए बदनाम कर दियाI सज्जनों और सद्ग्रंथों की संगति के कारण विभीषण का उद्धार हो गयाI हम जैसे लोगों के साथ अपना समय बिताते हैं, हमारी वैसी हीं गति होती हैI

# आपकी संगति आपके भविष्य का निर्धारण करती है, अच्छी संगति का मतलब अच्छा भविष्य; बुरी संगति का मतलब बुरा भविष्यI

# बहुत ज्यादा भावुक व्यक्ति को इस बात का कभी ध्यान नहीं रहता है, कि वह अच्छी संगति में है या बुरी संगति मेंI

# घर के एक व्यक्ति की बुरी संगति, पूरे परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर देती हैI

# बुरी संगति राजा को भी रंक बना देती है, तो फिर साधारण व्यक्ति का कितना बुरा अंजाम होता होगा , यह आप सोच हीं सकते हैंI

# अगर किसी अच्छे व्यक्ति का साथ न मिले तो अकेले हीं आगे बढ़ियेI थोड़ी मुश्किलें आएँगी, लेकिन यही आपके भविष्य के लिए अच्छा होगाI

# मुश्किलें आपको मजबूर करेंगी, लेकिन आपको अपना संयम खोकर बुरे व्यक्ति की मदद नहीं लेनी चाहिएI

# बुरे लोगों का साथ मीठे जहर की तरह होता है, जो शुरू में तो मीठा लगता है, लेकिन अंत में हमारे लिए जानलेवा साबित होता हैI

# संगति जिन लोगों को बिगाड़ देती है, वे लोग कभी नहीं सुधरते हैंI

# संगति तभी हम पर अपना प्रभाव डालती है, जब हम संगति के अनुसार बदलना चाहते हैंI

# बुरी संगति प्रतिभावान व्यक्ति को भी बेकार और असफल बना देती हैI इसलिए अपने दोस्त सावधानी से चुनिएI

# जो व्यक्ति यह नहीं जनता है कि क्या सही है और गलत वह यह कभी नहीं जान सकता है कि किस व्यक्ति के साथ उसे समय बिताना चाहिए और किसके साथ नहींI

# बुरी संगति से आप बुरे बनें या नहीं, लेकिन यह तय है कि आपकी संगति आपको एक दिन नुकसान जरुर पहुंचाएगीI

संगति पर अनमोल वचन- Sangati Quotes in Hindi

FAQ

संगति कितने प्रकार की होती है?

600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav

संगति दो प्रकार की होती है-सुसंगति और कुसंगति।

अच्छी संगति से क्या लाभ है?

600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav

सुसंगति का मानव-जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में शठ को भी सुधरते देखा गया है, जैसे पारस के स्पर्श से लोहा भी स्वर्ण बन जाता है। इस संबंध में ‘रामचरित मानस’ में गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं सठ सुधरहिं सत संगति पाई

सत्संगति शब्द का क्या अर्थ है?

600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav

सज्जनों की संगति ‘सुसंगति’ कहलाती है, सुसंगति मनुष्य को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करती है,
यथा गगन चढ़ई रज पवन प्रसंगा। कीचहिं मिलई नीच जल संगा ॥

कुसंगति का क्या अर्थ है ?

600-700 Words Essay speech on Sangati ka Prabhav

दुर्जनों की संगति ‘कुसंगति’ कहलाती है। कुसंगति उसे कुमार्ग की ओर ले जाती है। इसलिए साधुओं की संगति में रहने वाले लोग साधु बन जाते हैं तथा दुष्टों की संगति में रहने वाले दुष्ट बन जाते हैं;
यथा गगन चढ़ई रज पवन प्रसंगा। कीचहिं मिलई नीच जल संगा ॥

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