रानी लक्ष्मीबाई पर 600-700 शब्दों में निबंध, भाषण – 600-700 Words Essay speech on Rani Lakshmibai in Hindi
रानी लक्ष्मीबाई से जुड़े छोटे निबंध जैसे रानी लक्ष्मीबाई पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600-700 Words Essay speech on Rani Lakshmibai in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600-700 Words Essay Speech on Rani Lakshmibai in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ऐसी बोरंगना थी , जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास अपने रक्त से लिखा ये अपनी र विश्व में सदा के लिए अमर हो गई है। युगों का इतिहास भी उनको स्मृति को नहीं मिटा सकता। उस वीरांगना को स्मृति होते ही हृदय गर्व से पुलकित हो उठता है। भारतवासियों के लिए उनका जीवन एक आदर्श है।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 13 नवंबर, 1835 को पुण्य सलिला गंगा के किनारे स्थित वाराणसी में हुआ था। इनके पिता का नाम मोरोपंत तथा माता का नाम भागीरथी था। लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मनुबाई था। नटखट और चंचल स्वभाव के कारण लोग उन्हें ‘छबीली’ कहा करते थे। उनकी माता भागीरथी ने बचपन से ही मनुबाई को वीरांगनाओं की गाथाएं सुनाई थीं, जिसके फलस्वरूप उसके हृदय में बाल्यकाल से ही स्वदेश प्रेम और वीरता के अंकुर फूटे। छह वर्ष की अल्पायु में वह मातृविहीन हो गई। तदनंतर उसका लालन पालन बाजीराव पेशवा के संरक्षण में हुआ। यहीं उन्होंने व्यूह रचना, तीर चलाना, घुड़सवारी करना तथा युद्ध करना आदि सीखा।
सन 1842 में मनुबाई का विवाह झांसी के अंतिम पेशवा राजा गंगाधर राव के साथ हुआ। विवाहोपरांत मनुबाई लक्ष्मीबाई बन गई। विवाह के नौ वर्ष बाद उन्हें पुत्र रत्न प्राप्त हुआ, परंतु शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो जाने से गंगाधर राव उदास और अस्वस्थ रहने लगे। तब दामोदर राव को उन्होंने अपना दत्तक पुत्र बना लिया। लक्ष्मीबाई के ऊपर विपत्ति के बादल मंडरा रहे थे। 21 नवंबर, 1853 को राजा गंगाधर राव भी स्वर्ग सिधार गए। लाड़-प्यार से पली-बढ़ी लक्ष्मीबाई अठारह वर्ष की अवस्था में ही विधवा हो गईं। सारे राज्य में हाहाकार मच गया। गंगाधर की मृत्यु के पश्चात अंग्रेजों ने अपनी कुटिल नीति से झांसी राज्य को हड़पना चाहा। तब लक्ष्मीबाई ने स्पष्ट उत्तर दिया, “झांसी मेरी है, मैं प्राण रहते इसे नहीं छोड़ सकती।” उनके हृदय में अंग्रेजों के प्रति घृणा तथा विद्रोह की ज्वाला सुलगने लगी, लेकिन उन्होंने कूटनीति से काम लिया ।
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में हुआ था। यह चिंगारी पांडेय द्वारा मेरठ में स्फुटित हुई थी। धीरे-धीरे इसको लपटें पूरे भारत में गईं। उसी समय अंग्रेज सेनापति ने झांसी पर आक्रमण कर दिया। अंग्रेज जानते थे कि उनका सामना रणचंडी से होगा। लक्ष्मीबाई ने ईट का जवाब पत्थर से दिया। अंग्रेजों को हार माननी पड़ी। तब अंग्रेजों ने विश्वासपातियों को अपने पक्ष में कर लिया। ऐसे में लक्ष्मीबाई ने अपने दत्तक पुत्र के साथ राजमहल छोड़ दिया। अंग्रेजों ने लक्ष्मीबाई को पकड़ने का प्रयत्न किया, परंतु वे शत्रुओं का नाश करते हुए आगे बढ़ती गईं। अंत में वे किसी प्रकार कालपी जा पहुंचीं। कालपी नरेश ने 250 सैनिक युद्ध करने के लिए दिए। इन सैनिकों को लेकर वे पुनः क्रुद्ध सिंहनी की भांति अंग्रेजों पर टूट पड़ीं, परंतु उनकी हार हुई।
रानी लक्ष्मीबाई तथा दामोदर राव सीधे ग्वालियर पहुंचे। ग्वालियर में लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया। खून की नदियां बहने लगीं। अकेली लक्ष्मीबाई ने वहां भी अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। जब वे अपने घोड़े पर सवार एक नाला पार कर रही थीं, तभी एक अंग्रेज ने पीछे से उन पर प्रहार किया। इसके बाद अनेक अंग्रेज सैनिकों के वहां आ जाने से रानी लक्ष्मीबाई पर भीषण वार होने लगे और वे लड़ते-लड़ते स्वर्ग सिधार गईं।
लक्ष्मीबाई भारतीय वीरांगनाओं की आदर्श प्रतिनिधि थीं। वे समता, ममता, दृढ़ता, वीरता, त्याग और आत्म बलिदान की सजीव प्रतिमा तथा विलक्षण बुद्धि की संपन्न महिला थीं। जिस स्वतंत्रता संग्राम का बीजारोपण रानी लक्ष्मीबाई ने किया था, वह सन 1947 में फलित हुआ। उनके जीवन की एक-एक घटना नवस्फूर्ति और नवचेतना का संचार कर रही है। आज भारतीय नारी का सम्मान रानी लक्ष्मीबाई के कारण ही किया जाता है।

रानी लक्ष्मी बाई के अनमोल विचार – Jhansi Ki Rani Quotes
# “ हम स्वयं को तैयार कर रहे है , यह अंग्रेजो से लड़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । ”
# “ हम आजादि के लिए लड़ते है अगर कृष्ण के शब्दो मे कहे तो , हम विजयी होंगे तो विजय के फल का आनन्द लेंगे । ”
# “ यदि युद्ध के मैदान मे हार गये और मारे गए तो निश्चित रूप से मोक्ष प्राप्त करेंगे । ”
# “ मैदाने जंग मे मारना है , फिरंगी से नही हारना है । ”
# “ मेरे स्वर्गीय पति ने शान्ति की कला पर अपना ध्यान समर्पित किया । ”
# “ इन लोगो ने दमशिनरियो के माध्यम से , धार्मिक पुस्तको का उत्पादन और प्रसाद द्वारा हिन्दु और अन्य धर्मो को संदूषित करने का प्रयास किया है । ” ~ रानी लक्ष्मीबाई
# “ हम सब एक साथ ग्वालियर मे अंग्रेजो पर हमला करेंगे । ”
# “ उन्होने कैदियो को अपनी रोटी खाने के लिए मजबूर किया , वे हड्डियो को पाउडर मे बदलते है और फिर आटा , शक्कर आदि वस्तुऐ एक साथ मिलाकर उसे बिक्रि के लिए उजागर करते है । ”
# “ यह सभी को पता है ये अंग्रेज , सभी धर्म के खिलाफ है । ”
# “ मै अपने झांसी का आत्म समर्पण नही होने दूंगी । ”
# “ मै हिन्दुओ को Gunga , Tollsee और Salikram , Mahomedans , और कुरान को नाम से सम्बोधित करती हूँ और अनुरोध करती है कि वे अपने आपसी कल्याण के लिए अंग्रेजो का विनाश करे । ”
रानी लक्ष्मी बाई के अनमोल विचार – Jhansi Ki Rani Quotes
FAQ
रानी लक्ष्मी बाई कैसे मरी थी?
रानी लक्ष्मीबाई जब जंग के मैदान में बुरी तरह घायल हो गईं तो उन्होंने सोचा कि वह किसी ऐसी जगह चली जाएंगी, जहां उनको अंग्रेज पकड़ ना सके। रानी के शरीर पर इस वक्त तक तलवार से कई वार किए जा चुके थे और राइफल की एक गोली लगी थी। लेकिन रानी ने ठान ली थी कि कुछ भी हो जाए, वो अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगी।
रानी लक्ष्मीबाई के बेटे का क्या नाम था?
1851 में, लक्ष्मीबाई ने दामोदर राव को जन्म दिया था I
रानी लक्ष्मी बाई का नारा क्या था?
मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी
लक्ष्मी बाई की सहेली कौन थी?
लक्ष्मीबाई की सहेली मुंदरा थी।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंग्रेजों से ऐसी क्या मांग थी जिसे अंग्रेजों ने ठुकरा दिया?
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंग्रेजों से यह माँग थी कि उसके पति की मृत्यु के बाद उसकी गोद लिए पुत्र को झांसी का राजा मान लिया जाए परंतु अंग्रेजों ने उनकी यह मांग ठुकरा दी।
रानी लक्ष्मीबाई को मर्दानी क्यों कहा गया है?
रानी लक्ष्मीबाई ने वीर सेनापतियों की तरह अंग्रेजों से युद्ध किया और झाँसी की रक्षा करती रही। इसलिए कवयित्री ने उन्हें ‘मर्दानी’ कहा है।
रानी लक्ष्मी बाई के घोड़े का नाम क्या था?
रानी लक्ष्मी बाई मुख्यतः तीन घोड़े प्रयोग करती थीं जिनका नाम क्रमशः पवन, बादल और सारंगी था, ये भी कहा जाता है कि जब रानी बादल पर सवार होकर महल की ऊंची दीवार से कूदी तो बादल ने रानी को बचाने के लिए अपनी जान दे दी, उसके बाद रानी लक्ष्मी बाई पवन का प्रयोग करने लगी थीं |
रानी लक्ष्मी बाई की डेथ (मृत्यु) कब हुई?
18 जून1858
जब रानी लक्ष्मीबाई शहीद हुई तब उसकी उम्र क्या थी?
जब रानी लक्ष्मीबाई शहीद हुई तब उसकी उम्र लगभग 31 साल थी।
झांसी की रानी कविता के लेखक कौन है?
सुभद्रा कुमारी चौहान
कानपुर के नाना की मुंहबोली बहन कौन थी?
रानी लक्ष्मीबाई कानपुर के नाना की मुंहबोली बहन थीI
रानी लक्ष्मी बाई के नाना कौन थे?
धुंधूपंत पेशवा
झांसी की रानी का बचपन का नाम क्या था?
लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था। प्यार से उन्हें मनु पुकारा जाता था।
रानी लक्ष्मी बाई के माता-पिता का क्या नाम था ?
उनकी मां का नाम भागीरथी बाई तथा पिता का नाम मोरोपन्त तांबे था।
लक्ष्मीबाई कहाँ की रानी थी?
लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी थीI
रानी लक्ष्मी बाई का जन्म कहाँ हुआ?
रानी लक्ष्मी बाई का जन्म वाराणसी में हुआ था I
मणिकर्णिका का जन्म कब हुआ था?
मणिकर्णिका का जन्म 19 नवम्बर 1828 को वाराणसी में हुआ था I
झांसी की रानी नाटक किसका है?
‘झाँसी की रानी’ महाश्वेता देवी की प्रथम रचना है।
लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल कौन कौन से थे?
लक्ष्मीबाई के प्रिय खेल थे-नकली युद्ध करना, व्यूह की रचना करना और शिकार करना।
झांसी की रानी के पति का क्या नाम था?
झांसी की रानी के पति का नाम राजा गंगाधर राव थाI
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का दूसरा नाम क्या है?
मणिकर्णिका और मनु
लक्ष्मीबाई की प्रिय आराध्या कौन थी?
मराठों की कुलदेवी भवानी (दुर्गा) लक्ष्मीबाई की आराध्या थी।
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मै आशा करती हूँ कि रानी लक्ष्मीबाई पर लिखा यह निबंध ( रानी लक्ष्मीबाई पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण । 600-700 Words Essay speech on Rani Lakshmibai in Hindi ) आपको पसंद आया होगा I साथ ही साथ आप यह निबंध/लेख अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ जरूर साझा ( Share) करेंगें I
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