नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर 600-700 शब्दों में निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Netaji Subhash Chandra Bose in Hindi
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े छोटे निबंध जैसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600-700 Words Essay speech on Netaji Subhash Chandra Bose in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600-700 Words Essay, speech on Netaji Subhash Chandra Bose in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से टक्कर लेने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विषय में कविवर रामावतार शास्त्री ने लिखा है ज्ञान अर्पित, प्राण अर्पित, रक्त का ण-कण समर्पित सोचता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं।
देश की आजादी हेतु आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लेने वाले तथा आई.सी.एस. की उपाधि को तिरस्कृत करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं। इनका उद्घोष था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” सचमुच स्वतंत्रता की लड़ाई में उन्होंने अपना जीवन अर्पित कर दिया। मातृभूमि के इस सपूत का जन्म 23 वरी, 1897 को वर्तमान उड़ीसा प्रांत के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता जानकी नाथ बोस एक अच्छे वकील थे। सुभाष बाबू की प्रारंभिक शिक्षा एक यूरोपियन स्कूल में हुई थी। मैट्रिक की परीक्षा इन्होंने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।

इसके बाद कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में सुभाष जी का नामांकन हुआ। यहां ओरेन नामक एक अंग्रेज प्राध्यापक था, जो भारतीयों को हमेशा अपमानित करता था। फलतः एक दिन सुभाष बाबू ने कक्षा में ही उसे एक तमांचा जड़ दिया। अंग्रेज प्राध्यापक के होश ठिकाने लग गए और उस दिन से उसने भारतीयों को अपमानित करना बंद कर दिया था। इस घटना के बाद वे प्रेसिडेंसी कॉलेज से निकाल दिए गए। अब इनका नामांकन स्कॉटिश चर्च कॉलेज में हुआ और वहां से इन्होंने स्नातक प्रतिष्ठा की परीक्षा पास की। 1919 में आई.सी.एस. परीक्षा हेतु सुभाष बाबू इंग्लैंड गए। कुछ दिनों के बाद वे आई.सी.एस. की परीक्षा सम्मान के साथ उत्तीर्ण कर भारत लौट आए।
उन दिनों भारत में असहयोग आंदोलन चल रहा था। सुभाष बाबू पर भी इसका असर पड़ा। फलतः वे आई.सी.एस. को त्याग कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। पिताजी द्वारा विवाह के आग्रह को भी सुभाष बाबू ने ठुकरा दिया। वे जिस क्षेत्र में भी हाथ बढ़ाते, अपनी प्रतिभा की छाप अवश्य छोड़ जाते थे।
कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन इसका ज्वलंत प्रमाण है। उस अधिवेशन में जी के विरोध के बाद भी सुभाष चंद्र बोस अध्यक्ष चुने गए। उन दिनों गांधी के का विरोध साधारण बात नहीं थी। इस चुनाव ने गांधी जी से इनके मतभेद बढ़ा दिए। तब सुभाष बाबू ने एक अलग संगठन फारवर्ड ब्लॉक को स्थापना की। ये भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई को विदेशों तक ले गए।
सशस्त्र सहायता के लिए सुभाष बाबू ने चीन, जापान, रूस एवं जर्मनी से संपर्क किया। इसी क्रम में वे वेश बदलकर भारत से फरार हो गए। विदेशों में ही रहते हुए इन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया। इन्हें जापान का भरपूर सहयोग मिला। तत्पश्चात इन्होंने इंग्लैंड के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। लेकिन दुर्भाग्यवश अमेरिका के साथ जापान के अनुबंध के कारण इनकी योजना असफल हो गई। कुछ लोगों का मानना है कि एक विमान दुर्घटना में इनकी मृत्यु हो गई, परंतु नेताजी भारतवासियों के हृदय में सदैव अमर बने रहेंगे।
Netaji Subhash Chandra Bose Quotes in Hindi
अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है।
याद रखें – अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना सबसे बड़ा अपराध है।
मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है। दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता।
कष्टों का, निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है।
मुझे यह नहीं मालूम कि स्वतंत्रता के इस युद्ध में हम में से कौन कौन जीवित बचेंगे। परन्तु मैं यह जानता हूँ कि अंत में विजय हमारी ही होगी।
ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्याओं जैसे गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से ही किया जा सकता है।
व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता।
आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए – मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके। एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके।
राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और सुन्दर से प्रेरित है।
भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अन्दर सुसुप्त पड़ी थी।
यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े, तब वीरों की भांति झुकना।
समझौतापरस्ती सबसे बड़ी अपवित्र वस्तु है।
संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया है। मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ, जो पहले नहीं था।
मुझ में जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी, परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझ में कभी नहीं रही।
जीवन में प्रगति का आशय यह है कि शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे।
हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं।
श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है।
मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता। संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं, वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा।
इतना तो आप भी मानेंगे कि एक न एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा, क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है।
हमें अधीर नहीं होना चहिये। न ही यह आशा करनी चाहिए कि जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में न जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया, उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा।
जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड़ से ही शहद का कार्य निकालना चाहिए।
असफलताएं कभी-कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं।
सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है। बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है।
समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती, चाहे वह किसी वृक्ष की हो, या व्यक्ति की। उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है।
अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ, कि जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है।
स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है, यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है, तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुका सकते हो।
मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है। मुझे नैतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है।
निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अतिआवश्यक है।
मैं जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता।
मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया। यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है। कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है। मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया। यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया, तो यह जीवन व्यर्थ है। इसकी क्या सार्थकता है?
भविष्य अब भी मेरे हाथ में है।
मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है कि मुझे यह आशा है कि कोई-न-कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती।
चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है।
मैं चाहता हूँ चरित्र, ज्ञान और कार्य।
हमें केवल कार्य करने का अधिकार है। कर्म ही हमारा कर्तव्य है। कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान) है, हम नहीं।
कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है।
मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा समय व्यर्थ में ही खो दिया है।
माँ का प्यार सबसे गहरा होता है, स्वार्थ रहित होता है। इसको किसी भी प्रकार नापा नहीं जा सकता।
जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती, वह कभी भी महान नहीं बन सकता। परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते। आखिर क्यों ? कारण यह है कि केवल पागलपन ही काफी नहीं है। इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है।
भावना के बिना चिंतन असंभव है। यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता। बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं। परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते।
मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है।
एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा – निष्ठा, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।
एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत होती है।
हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो, हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो, फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता है, पर उसका आना अनिवार्य है।
परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं। लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते कि जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है। यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है। स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है, परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी। उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा।
अपनी ताकत पर भरोसा करो, उधार की ताकत हमेशा घातक होती है।
आजादी मिलती नहीं, बल्कि इसे छीनना पड़ता है।
जीवन के हर पल में आशा की कोई ना कोई किरण जरुर आती है जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
अच्छे विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं, हमें हमेशा अपनी आत्मा को उच्च विचारों से प्रेरित करते रहना चाहिए।
जो भी तुम कुछ करते हो यह तुम्हारा कर्म है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई बंटवारा नही होता है। इसका फल भी तुम्हे ही भोगना होता है।
सफल होने के लिए आपको अकेले चलना होगा। लोग तो तब आपके साथ आते हैं जब आप सफल हो जाते हैं।
एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार उसकी मृत्यु के बाद, एक हजार व्यक्तियों के जीवन में खुद को अवतार ले लेता है।
आज़ादी मांगने से नहीं, छीनने से मिलेगी।
इतिहास के इस अभूतपूर्व मोड़ पर मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि अपनी अस्थायी हार से निराश न हों, हंसमुख और आशावादी बनें। इन सबसे बढ़कर, भारत के भाग्य में अपना विश्वास कभी ना खोयें। पृथ्वी पर ऐसी कोई शक्ति नहीं है जो भारत को बंधन में रख सके। भारत आजाद होगा और वह भी जल्द ही। जय हिंद।
राजनीतिक सौदेबाजी की कूटनीति यह है कि आप जो भी हैं, उससे ज्यादा शक्तिशाली दिखें।
केवल पूर्ण राष्ट्रवाद, पूर्ण न्याय और निष्पक्षता के आधार पर ही भारतीय सेना का निर्माण किया जा सकता है।
केवल रक्त ही आज़ादी की कीमत चुका सकता है।
शाश्वत नियम याद रखें -: यदि आप कुछ पाना चाहते हैं, तो आपको कुछ देना होगा।
गुलाम लोगों के लिए आज़ादी की सेना में पहला सैनिक होने से बड़ा कोई गौरव, कोई सम्मान नहीं हो सकता है।
एक ऐसी सेना, जिसके पास साहस, निर्भयता और अजेयता की कोई परंपरा नहीं है, वह एक शक्तिशाली दुश्मन के साथ संघर्ष में अपनी खुद की पकड़ नहीं बना सकती। इसलिए स्वतंत्रता के इस युद्ध के दौरान आपको अनुभव प्राप्त करना होगा और सफलता प्राप्त करनी होगी। यह अनुभव और सफलता ही हमारी सेना के लिए एक राष्ट्रीय परंपरा का निर्माण कर सकते हैं।
उन कार्यों के लिए अपनी कमर कस लें, जो सामने हैं। मैंने आपसे पुरुष, धन और सामग्री के लिए कहा था। मैंने उन्हें बहुतायत में पा लिया है। अब मैं आपसे और मांग करता हूँ। पुरुष, धन और सामग्री स्वयं जीत या स्वतंत्रता नहीं ला सकती है। हमारे पास उद्देश्य को पूर्ण करने की शक्ति होनी चाहिए, जो हमें बहादुरी के कार्यों और वीरतापूर्ण कारनामों के लिए प्रेरित करे।
भारत पुकार रहा है, रक्त रक्त को पुकार रहा है। उठो, हमारे पास व्यर्थ के लिए समय नहीं है। अपने हथियार उठा लो, हम अपने दुश्मनों के माध्यम से ही अपना मार्ग बना लेंगे या अगर भगवान की इच्छा रही, तो हम एक शहीद की मौत मरेंगे।
दिल्ली की सड़क स्वतंत्रता की सड़क है। दिल्ली चलो।
मुझे आपको याद दिलाना है कि आपको दो गुना कार्य करने हैं। हथियारों के बल और अपने खून की कीमत पर आपको स्वतंत्रता हासिल करनी होगी। फिर, जब भारत स्वतंत्र होगा, तो आपको स्वतंत्र भारत की स्थायी सेना को संगठित करना होगा। जिसका कार्य हर समय अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखना होगा। हमें अपनी राष्ट्रीय रक्षा ऐसी अटल नींव पर बनानी होगी, ताकि हम इतिहास में फिर कभी अपनी स्वतंत्रता न खोयें।
नेता जी सुभाष चंद्र बोस
FAQ
सुभाषचन्द्र बोस का जन्म कहाँ हुआ?
कटक
सुभाष चन्द्र बोस को नेताजी क्यों कहा जाता है?
उनके द्वारा दिया गया जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा” का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।
सुभाषचन्द्र बोस का जन्म कब हुआ था?
23 जनवरी1897
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कैसे हुई?
18 अगस्त 1945 को उनके अतिभारित जापानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। यह दुर्घटना जापान अधिकृत फोर्मोसा (वर्तमान ताइवान) में हुई थी। उसमें नेताजी मृत्यु से सुरक्षित बच गये थे या नहीं, इसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
नेताजी का पूरा नाम क्या है?
सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस का क्या नारा था?
‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’
नेताजी के पिता का क्या नाम था?
जानकी नाथ बोस
सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु कौन थे?
चित्तरंजन दास उनके राजनीतिक गुरु थे।
सुभाष चंद्र बोस के आध्यात्मिक गुरु कौन थे?
विवेकानंद
आजाद हिन्द फ़ौज के प्रधान सेना पति कौन थे?
कैप्टन मोहन सिंह
सुभाष चंद्र बोस ने इंग्लैंड में कौन सी परीक्षा पास की?
1920 में ब्रिटिश सरकार की प्रतिष्ठित आईसीएस की परीक्षा की थी .
आजाद हिंद फौज की स्थापना कब और किसने की थी?
सुभाष चंद्र बोस ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1942 में भारत को अंग्रेजों के कब्जे से स्वतंत्र कराने के लिये आजाद हिन्द फौज या इंडियन नेशनल आर्मी (INA) नामक सशस्त्र सेना का संगठन किया
आजाद हिंद फौज दिवस कब मनाया जाता है?
24 जुलाई
तुम मुझे खून दो मैं तुझे आजादी दूंगा किसका नारा है?
सुभाष चंद्र बोस
दिल्ली चलो किसका नारा था?
सुभाष चंद्र बोस
23 जनवरी कौन सा दिवस मनाया जाता है?
23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती होती है
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मै आशा करती हूँ कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर लिखा यह निबंध ( नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण । 600-700 Words Essay speech on Netaji Subhash Chandra Bose in Hindi ) आपको पसंद आया होगा I साथ ही साथ आप यह निबंध/लेख अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ जरूर साझा ( Share) करेंगें I
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