मदर टेरेसा पर 600-700 शब्दों में निबंध, भाषण – 600-700 Words Essay speech on Mother Teresa in Hindi
मदर टेरेसा से जुड़े छोटे निबंध जैसे मदर टेरेसा पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600-700 Words Essay speech on Mother Teresa in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600-700 Words Essay Speech on Mother Teresa in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
मदर टेरेसा का जन्म सन 1917 में यूगोस्लाविया में हुआ था। वे अल्बानिया की नागरिक थीं। उनके बचपन का नाम एग्नस गोजा था। वे बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति की थीं और उनमें परहित की भावना थी। वे पीड़ित मानवता का दुख देखकर दुखी रहती थीं। उनमें सांसारिक सुखों के प्रति रंचमात्र भी आसक्ति नहीं थी। उन्हें निजी सुख की चिंता नहीं थी। यही कारण है कि 18 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने ईसाई सेविका बनकर गृह त्याग कर दिया। जन्म से ईसाई होते हुए भी उनमें प्रारंभ से ही यह भाव था कि मानव सेवा ही सच्चा धर्म है। सांप्रदायिकता की संकुचित सीमा मानवता के लिए बाधक है-यह भावना भी उनमें कूट-कूटकर भरी हुई थी।
मदर टेरेसा डबलिन के लोरेतो गिरजाघर में ‘नन’ की दीक्षा ग्रहण करने के पश्चात सेवा के व्यापक क्षेत्र हेतु कोलकाता चली आईं। कोलकाता स्थित लोरेतो कॉन्वेंट में इन्होंने अध्यापन कार्य आरंभ किया। शिक्षा मनुष्य के निर्माण में सर्वाधिक सहायक तत्व है, अतः मदर टेरेसा ने शिक्षा क्षेत्र को अपने जीवन के लिए चुना। शिक्षण काल में उन्होंने अपनी क्षमता और योग्यता का समुचित उपयोग किया। उन्होंने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व सेवा की। 20 वर्षों के अध्यापन के बाद उन्होंने उक्त विद्यालय के प्रिंसिपल पद पर कार्य शुरू किया।
यद्यपि मदर टेरेसा पूरे मनोयोग से अपने शिक्षण कार्य में संलग्न थीं, किंतु उनका मन निरंतर व्यापक क्षेत्र की खोज में लगा रहता था। उन्हें विद्यालय की दीवारों की सीमा लांघनी थी। सन 1946 में मदर टेरेसा के मन में दीन-हीनों के प्रति काफी गहरी करुणा उत्पन्न हुई। उन्होंने कोलकाता की गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों की सेवा का निश्चय किया। उन्हें लगा कि जब तक गरीबी, रोग और अपंगता से मनुष्य जाति को मुक्त नहीं किया जाता, तब तक जीवन के कोई अन्य कार्य महत्वपूर्ण नहीं हो सकते।
सन 1952 में मदर टेरेसा ने ‘निर्मल फ्राइडे होम’ नामक एक जनहितकारी संस्था की स्थापना की। यह संस्था निराश्रितों के लिए वरदान साबित हुई। इसकेबाद उन्होंने असहाय और उपेक्षित शिशुओं की सेवा तथा सुरक्षा के लिए भावना’ की स्थापना की, जहां आज भी अनेक अनाथ बच्चे संरक्षण यहीं उनके पालन-पोषण के साथ शिक्षा का भी समुचित प्रबंध है।
मदर टेरेसा ने कुछ कुष्ठ रोगियों की दुर्दशा देखी, तो उनका भावाल हृदय द्रवीभूत हो उठा। उन्होंने ऐसे रोगियों की सेवा का व्रत लिया। ऐसे में उन्होंने 1957 में आसनसोल में कुष्ठ रोगियों की सेवा हेतु एक सेवागृह खोल दिया, जहां तिरस्कृत और उपेक्षित कोढ़ियों को नवजीवन देना शुरू किया गया। इस सेवागृह में रहते हुए अनेक कुष्ठ रोगी स्वस्थ हुए। उन्होंने सन 1950 में ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ नामक संस्था की भी स्थापना की थी।
दया की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा को भारत सरकार ने 1962 में ‘पद्मश्री’ की उपाधि प्रदान की। उसी वर्ष फिलीपींस सरकार ने ‘मैग्सेसे पुरस्कार’ से उन्हें सम्मानित किया। इसके बाद उन्हें ‘पोपजॉन शांति पुरस्कार’, ‘केनेडी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार’ एवं ‘गुड सेमेंरिटन अवार्ड’ भी मिले। सन 1971 में अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना के प्रचार-प्रसार के लिए इन्हें ‘जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार’ दिया गया। सन 1973 में उन्हें ‘टेंपल्टन फाउंडेशन पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। भारत सरकार ने उनकी व्यापक सेवा के लिए सर्वोच्च उपाधि ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया।
मदर टेरेसा की अमूल्य सेवा के तहत उन्हें स्वीडन ने विश्वविख्यात ‘नोबल पुरस्कार’ से सम्मानित किया। वे गरीबों के लिए भगवान थीं। मदर टेरेसा कहती थीं कि मैं गरीबों में भगवान के दर्शन करती हूं। यह सारे विश्व के लिए गौरव की बात थी। मदर टेरेसा निःस्वार्थ भाव से असहायों की सेवा करती थीं। यह कारण है कि लोग उन्हें श्रद्धा से ‘लोक माता’ कहते हैं।

मदर टेरेसा के अनमोल वचन -Mother Teresa Quotes in Hindi
# बिना प्रेम के कार्य करना दासता है।
# प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है, खो चुकी है।
# कार्य में प्रार्थना प्यार है, कार्य में प्यार सेवा है।
# शांति की शुरुआत एक मुस्कराहट से होती है।
# सबसे बड़ा रोग किसी के लिए भी कुछ न होना है।
# हम सभी ईश्वर के हाथ में एक क़लम के सामान है।
# अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धि के बीच का पुल है।
# प्रेम कभी कोई नापतोल नहीं करता, वो बस देता है।
# हम में से हर कोई किसी न किसी वेश में भगवान है।
# वे शब्द, जो ईश्वर का प्रकाश नहीं देते, अँधेरा फैलाते हैं।
# एक जीवन जो दूसरों के लिए नहीं जीया गया वह जीवन नहीं है।
# प्यार हर मौसम में होने वाला फल है और हर व्यक्ति की पहुंच में है।
# अकेलापन और अवांछित रहने की भावना सबसे भयानक गरीबी है।
# छोटी चीजों में वफादार रहिये क्योंकि इन्ही में आपकी शक्ति निहित है।
# आप लोगों को सादगी से जीना चाहिए ताकि दूसरे लोग भी सादगी से रह सकें।
# जहाँ जाइये प्यार फैलाइए। जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे।
# चलिए जब भी एक दूसरे से मिलें मुस्कान के साथ मिलें। यही प्रेम की शुरुआत है।
# खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते। लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं।
# प्यार करीबी लोगों की देखभाल करने के द्वारा शुरू होता है। जो आपके घर पर हैं।
# कई लोग हमारे कार्य को व्यवसाय मानते हैं लेकिन हमारा व्यवसाय यीशु का प्रेम है।
# हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते लेकिन हम अन्य कार्यों को प्रेम से कर सकते हैं।
# अगर लोग अवास्तविक, विसंगत और आत्मा केन्द्रित है फिर भी आप उन्हें प्रेम दीजिये।
# प्यार के लिए भूख को मिटाना रोटी के लिए भूख को मिटाने से कहीं ज्यादा मुश्किल है।
# अगर हम आज को बर्बाद कर रहें है तो याद रखना आने वाला भविष्य हमको डरा देगा।
# यदि आप एक सौ लोगों को भोजन नहीं करा सकते हैं, तो सिर्फ एक को ही भोजन करवाएं।
# अगर हम वास्तव में प्रेम करना चाहते हैं तो पहले हमे सीखना होगा कि क्षमा कैसे करना है।
# अगर आप यह देखेंगे कि लोग कैसे हैं तो आप के पास उन्हें प्रेम करने का समय नहीं मिलेगा।
# कल जा चुका है, कल अभी आया नहीं है। हमारे पास केवल आज है, चलिए शरुआत करते हैं।
# सभी लोग महान कार्य नहीं कर सकते हैं लेकिन हम छोटे कार्य को बड़े स्नेह से कर सकते हैं।
# यीशु ने कहा है कि एक दूसरे से प्रेम करो। उन्होंने यह नहीं कहा कि समस्त संसार से प्रेम करो।
# आपको सफलता के लिए प्रार्थना नहीं करनी चाहिए बल्कि सच्चाई के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
# दया और प्रेम भरे शब्द छोटे हो सकते हैं लेकिन वास्तव में उनकी गूँज की कोई सीमा नहीं होती।
# मैं चाहती हूँ कि आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित रहें। क्या आप अपने पड़ोसी को जानते हो?
# चमत्कार यह नहीं है कि हम यह काम करते हैं बल्कि यह है कि ऐसा करने में हमें ख़ुशी मिलती है।
# इंसान का जीवनमात्र ही पवित्र है इसलिए इसे अपनी क्षमता अनुसार सुंदर बनाना हमारा कर्तव्य है।
# कुछ लोग आपकी ज़िन्दगी में एक आशीर्वाद की तरह होते हैं। और कुछ लोग एक सबक की तरह।
# भगवान यह अपेक्षा नहीं करते कि हम सफल हों। वे तो केवल इतना ही चाहते हैं कि हम प्रयास करें।
# मैं एक छोटी पेंसिल के समान हूँ जो ईश्वर के हाथ में है। जो इस संसार को प्रेम का सन्देश भेज रहे हैं।
# आप दुनिया में प्रेम फैलाने के लिए क्या कर सकते हैं? घर जाइये और अपने परिवार से प्रेम कीजिये।
# यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपने कितना दिया। बल्कि यह है कि देते समय आपने कितने प्रेम से दिया।
# आज के समाज की सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है, बल्कि अवांछित रहने की भावना है।
# यदि हमारे बीच में कोई शांति नहीं है, तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित है।
# अगर आप मेरे बारे में कुछ लिखना चाहते हैं तो आप सिर्फ मेरे कार्यों पर लिखो ताकि लोगों को प्रेरणा मिल सकें।
# जब भी आप किसी पर मुस्कुराते हैं, तो यह प्यार का एक कार्य है, उस व्यक्ति के लिए एक उपहार है, एक सुंदर चीज है।
# हम यही सोचते हैं कि हमारे किये हुए कार्य तो सागर में एक बूंद के बराबर हैं, पर उस बूंद के बिना सागर का पानी कम ही होगा।
# पेड़, फूल और पौधे शांति में विकसित होते हैं। सितारे, सूर्य और चंद्रमा शांति से गतिमान रहते हैं, शांति हमें नयी संभावनाएं देती हैं।
# केवल धन देने भर से संतुष्ट न हों, धन पर्याप्त नहीं है। धन पाया जा सकता है लेकिन उन्हें आपके प्रेम की आवश्यकता है। तो जहाँ भी आप जायें अपना प्रेम सब में बांटें।
# अगर आपको प्यार के कुछ शब्द सुनने है, तो पहले आपको कुछ प्यार के शब्द कहने भी पड़ेंगे। ठीक उसी तरह जैसे किसी दिए को जलाये रखने के लिए पहले उसमे तेल भी डालना पड़ता है।
# जिस व्यक्ति को कोई चाहने वाला न हो, कोई ख्याल रखने वाला न हो, जिसे हर कोई भूल चुका हो, मुझे लगता है कि वह किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में, जिसके पास खाने के लिए कुछ न हो, से कहीं ज्यादा भूख, कहीं ज्यादा गरीबी से ग्रस्त है।
मदर टेरेसा के अनमोल वचन -Mother Teresa Quotes in Hindi
FAQ
मदर टेरेसा के अनुसार जीवन का मूल मंत्र क्या है?
शांति एक मुस्कराहट के साथ शुरू होती है।
मदर टेरेसा को मदर टेरेसा क्यों कहते हैं?
मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस था। उन्होंने अपना नाम त्याग कर टेरेसा नाम चुना। वो अपने नाम से संत थेरेस ऑस्ट्रेलिया और टेरेसा ऑफ अविला को सम्मान देना चाहती थीं इसलिए उन्होंने टेरेसा नाम चुन लिया।
मदर टेरेसा का असली नाम क्या था?
मदर टेरेसा का असली नाम एग्नेस था।
मदर टेरेसा कौन सा काम करती थी?
मदर टेरेसा चैरिटी का कार्य कर रही थीं। इसमें एचआईवी/एड्स, कुष्ठ और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं/ घर शामिल थे और साथ ही सूप, रसोई, बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम, अनाथालय और विद्यालय भी थे।
मदर टेरेसा का जन्म स्थान क्या है?
स्कोपिये, उत्तरी मैसेडोनिया
मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार कब दिया गया था?
17 अक्टूबर 1979 को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।
मदर टेरेसा के माता पिता का नाम क्या था?
मदर टेरेसा के माता पिता का नाम ड्रैनाफ़ाइल बोजशियु और
निकोल बोजशियु था ।
मदर टेरेसा की शिक्षा कहाँ पर हुई?
Loreto Abbey, Rathfarnham
मदर टेरेसा की मृत्यु कहाँ और कब हुई?
दिल के दौरे के कारण 5 सितंबर 1997 के दिन मदर टैरेसा की मृत्यु कोलकाता में हुई थी।
मदर टेरेसा का रियल नाम क्या है?
मदर टेरेसा का असली नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ (Agnes Gonxha Bojaxhiu ) था.
1980 में भारत सरकार ने मदर टेरेसा को कौनसी उपाधी से सम्मानित किया था?
साल 1980 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
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मै आशा करती हूँ कि मदर टेरेसा पर लिखा यह निबंध ( मदर टेरेसा पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण । 600-700 Words Essay speech on Mother Teresa in Hindi ) आपको पसंद आया होगा I साथ ही साथ आप यह निबंध/लेख अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ जरूर साझा ( Share) करेंगें I
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