महात्मा गाँधी पर 600-700 शब्दों में निबंध, भाषण – 600-700 Words Essay speech on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गाँधी से जुड़े छोटे निबंध जैसे महात्मा गाँधी पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600-700 Words Essay speech on Mahatma Gandhi in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600-700 Words Essay speech on Mahatma Gandhi in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी में महात्मा के बाह्य लक्षण कुछ भी नहीं वे न तो ललाट पर चंदन लगाते थे, न माला फेरते थे और न ही दूसरों को दिखाने के लिए ‘राम-राम’ जपते थे। लेकिन अपने मानवतावादी दृष्टिकोण, अहिंसा, सत्य, प्रेम और भाई-चारे के कारण वे महात्मा थे। संपूर्ण भारत उन्हें ‘बापू’ और ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से संबोधित करता है। भारतीय इतिहास में अभी तक इतना आदर सूचक संबोधन किसी अन्य को नहीं प्राप्त हुआ है।
गांधी जी के जन्मकाल में भारत पर अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेज भारतीयों पर तरह-तरह के अत्याचार करते थे। सर्वत्र अराजकता एवं अत्याचार का बोलबाला था। ऐसे में धरती किसी महामानव के अवतार के लिए व्यग्र हो रही थी, जो इन अत्याचारों से भारतीयों को मुक्ति दिला सके। इस बारे में कविवर रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कहते हैं-
धरा जब-जब विरल होती मुसीबत का समय आता,
रामधारी सिंह ‘दिनकर’
किसी भी रूप में कोई महामानव चला आता।
गांधी जी एक ऐसे ही महानायक थे, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य में काठियावाड़ जिले के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। माता से ही इन्होंने सच्चाई की शिक्षा पाई थी। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। 13 वर्ष की अल्पायु में ही इनकी शादी कस्तूरबा से हुई थी। कस्तूरबा एक धार्मिक महिला थीं। लोग प्यार से उन्हें ‘बा’ कहा करते थे।
गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। सन 1887 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद बैरिस्ट्री पढ़ने वे इंग्लैंड चले गए। बैरिस्ट्री पास करके वे भारत वापस आ गए और बंबई में वकालत करने लगे, लेकिन इनकी वकालत नहीं चली। संयोग से इन्हें एक सेठ के मुकदमे की पैरवी हेतु सन 1892 में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां उन्होंने गोरों को भारतीय मूल के लोगों पर अत्याचार करते देखा। इससे गांधी जी अत्यंत दुखी हुए।
उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को इकट्ठा कर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया, जिसे अपार सफलता मिली और दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीयों को राहत पहुंची। भारत में गांधी जी ने अपना राजनैतिक जीवन बिहार के संपारण से शुरू किया। यहां अंग्रेज किसानों से जमीन छीनकर नील की खेती करवाते थे। गांधी जी ने ऐसे किसानों को संगठित कर इस अन्याय के विरुद्ध सत्याग्र प्रारंभ किया। फलस्वरूप किसानों को काफी सुविधाएं प्राप्त हुई।
सन 1920 में बालगंगाधर की मृत्यु हो गई। इसके बाद कांग्रेस की बागडोर महात्मा गांधी के हाथों में आ गई। उन्होंने संपूर्ण देश में घूम-घूमकर लोगों को आजादी का महत्व समझाया और इसकी प्राप्ति हेतु अहिंसा एवं सत्याग्रह का मार्ग सुझाया सन 1930 में गांधी जी ने नमक कानून का विरोध किया। इसमें भी इन्हें सफलता मिली। इस तरह सत्य एवं अहिंसा का सहारा लेकर गांधी जी सारे भारतीयों के दिलो-दिमाग पर छा गए। अब ये जिधर चलते, भारतीय जनता उधर ही चल पड़ती थी। ये जो बोलते, वही तीस करोड़ जनता की आवाज होती
चल पड़े जिधर दो पग डगमग, चल पड़े कोटि पग उसी ओर,
पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि, पड़ गए कोटि दृग उसी ओर।
भारतीयों की इस चट्टानी एकता के सामने अंततः अंग्रेजों को झुकना पड़ा और 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ। इस बारे में कविवर प्रदीप ने ठीक ही कहा है –
दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल,
कविवर प्रदीप
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।
अंग्रेजों ने जाते-जाते हमारे समाज में सांप्रदायिक वातावरण फैला दिया।हिंदुस्तान को बांटकर पाकिस्तान का निर्माण कर दिया। चारों ओर हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे हुए। इन दंगों को रोकने में गांधी जी का प्रयत्न रामबाण साबित हुआ। इसके फलस्वरूप हजारों हिंदू-मुसलमान एक साथ गा उठे-
ईश्वर-अल्लाह तेरे नाम, सबको सन्मति दे भगवान।
उपरोक्त भजन द्वारा दो परस्पर विरोधी धर्मों का समन्वय करके गांधी जी एक महान समन्वयकारी महापुरुष सिद्ध हुए।
वस्तुत: महात्मा गांधी विश्व स्तर के महान नेता थे। दुनिया का संदेश सुनाने वाले कुछ महापुरुषों में महात्मा गांधी भी एक थे। ऐसे महापुरुष का अंत गोली लगने से 30 जनवरी, 1948 को हुआ। महात्मा गांधी ‘हे राम’ कहते हुए, अमर हो गए। उनकी समाधि राजघाट समाज सेवियों का तीर्थ स्थल है।
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