डॉ. हरिवंश राय बच्चन पर 600-700 शब्दों में निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Harivansh Rai Bachchan in Hindi
डॉ. हरिवंश राय बच्चन से जुड़े छोटे निबंध जैसे डॉ. हरिवंश राय बच्चनपर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600-700 Words Essay speech on Harivansh Rai Bachchan in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
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600-700 Words Essay Speech on Harivansh Rai Bachchan in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
छायावाद और आधुनिक प्रगतिवाद के मुख्य स्तंभ माने जाने वाले हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर, 1907 को प्रयाग के पास स्थित अमोड़ गांव में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा कायस्थ पाठशाला एवं सरकारी पाठशाला से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने राजकीय कॉलेज और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा ली। पढ़ाई खत्म करने के बाद वे अध्यापन से जुड़ गए और 1947 से 1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी प्रवक्ता रहे।
इसके बाद डॉ. हरिवंश राय बच्चन इंग्लैंड चले गए, जहां उन्होंने सन 1952 से 1954 तक अध्ययन करके कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की डिग्री डब्ल्यू.बी. येट्ज के कार्यों पर शोध करके प्राप्त की। ऐसी उपलब्धि प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय बने। अंग्रेजी साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद उन्होंने हिंदी को भारतीय जन की आत्म-भाषा मानते हुए इसी क्षेत्र में उत्कृष्ट साहित्य सृजन का फैसला किया।
डॉ. हरिवंश राय बच्चन आजीवन हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में लगे रहे। उन्होंने आकाशवाणी के इलाहाबाद केंद्र में भी काम किया। वे 16 वर्षों तक दिल्ली में रहे। इस दौरान इन्होंने विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ जैसे महत्वपूर्ण पद पर काम किया। इन्हें राज्यसभा में छह वर्ष के लिए विशेष सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया। ये अपने पुत्रों के साथ दिल्ली तथा मुंबई में रहे। 1983 तक वे हिंदी काव्य और साहित्य की सेवा में लगे रहे।
डॉ. हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई ‘मधुशाला’ हिंदी काव्य की कालजयी रचना मानी जाती है। इसमें इन्होंने शराब- मयखाना के माध्यम से प्रेम, सौंदर्य, पीड़ा, दुख, मृत्यु और जीवन के सभी पहलुओं को अपने शब्दों में जिस तरह से पिरोया है, ऐसे शब्दों का मिश्रण कहीं अन्यत्र देखने को नहीं मिलता। आम लोगों की समझ में आसानी से आने वाली इस रचना को आज भी गुनगुनाया जाता है। डॉ. बच्चन कभी किसी साहित्यिक आंदोलन से नहीं जुड़े, लेकिन उन्होंने हर विधा को अपनाया। यही नहीं, उन्होंने फिल्मों के लिए भी काफी गीत लिखे। फिल्म ‘सिलसिला’ का ‘रंग बरसे भीगे…’ गीत रूमानी कलम की कहानी बयान करता है।
डॉ. बच्चन को उनकी रचनाओं के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता रहा। 1968 में इन्हें हिंदी कविता का ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ उनकी कृति ‘दो चट्टानों’ के लिए दिया गया। बिड़ला फाउंडेशन द्वारा उनकी ‘आत्मकथा’ के लिए ‘सरस्वती सम्मान’ से नवाजा गया। 1968 में ही सोवियत लैंड नेहरू और एशियाई सम्मेलन के ‘कमल पुरस्कार’ से इन्हें सम्मानित किया गया। साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें ‘साहित्य वाचस्पति पुरस्कार दिया गया। बाद में वे भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण अवार्ड’ से सम्मानित हुए।
डॉ. बच्चन ने अपने काव्य काल के आरंभ से लेकर 1983 तक अनेक कविताओं की रचना की। इनमें हिंदी कविता को नई दिशा देने वाली ‘मधुशाला’ उनकी सबसे लोकप्रिय कृति मानी जाती है। उनके समग्र कविता संग्रह में ‘मधुशाला’ से लेकर ‘मधुकलश’, ‘निशा-निमंत्रण’, ‘आकुल अंतर’, ‘बंगाल का काल’, ‘घर के इधर-उधर’, ‘बहुत दिन बीते’, ‘जाल समेरा’, ‘खादी के फूल’, ‘मिलन यामिनी’, ‘बुध व नाच घर’, ‘आरती व अंगारे’, ‘त्रिभंगिमा’, ‘एकांत संगीत’, ‘सतरंगिनी’, ‘विकल विश्व’ आदि प्रमुख हैं। उन्होंने शेक्सपियर के अंग्रेजी नाटकों का हिंदी अनुवाद करने के साथ-साथ रूसी कविताओं का हिंदी संग्रह भी प्रकाशित किया। उनकी कविताओं में प्रारंभिक छायावाद, रहस्यवाद, प्रयोगवाद एवं प्रगतिवाद का एक साथ समावेश देखने को मिलता है।
18 जनवरी, 2003 को जाने-माने कवि और ‘मधुशाला’ के रचयिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन का मुंबई में देहांत हो गया। 29 जनवरी, 2003 को उनकी अस्थियां प्रयाग के संगम में विसर्जित की गईं।
हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख कृतियाँ
कविता संग्रह
- तेरा हार (1929),
- मधुशाला (1935),
- मधुबाला (1936),
- मधुकलश (1937),
- आत्म परिचय (1937),
- निशा निमंत्रण (1938),
- एकांत संगीत (1939),
- आकुल अंतर (1943),
- सतरंगिनी (1945),
- हलाहल (1946),
- बंगाल का काल (1946),
- खादी के फूल (1948),
- सूत की माला (1948),
- मिलन यामिनी (1950),
- प्रणय पत्रिका (1955),
- धार के इधर-उधर (1957),
- आरती और अंगारे (1958),
- बुद्ध और नाचघर (1958),
- त्रिभंगिमा (1961),
- चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),
- दो चट्टानें (1965),
- बहुत दिन बीते (1967),
- कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968),
- उभरते प्रतिमानों के रूप (1969),
- जाल समेटा (1973)
- नई से नई-पुरानी से पुरानी (1985)
आत्मकथा
- क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969),
- नीड़ का निर्माण फिर (1970),
- बसेरे से दूर (1977),
- दशद्वार से सोपान तक (1985)
- प्रवास की डायरी
विविध रचनाएं
- बच्चन के साथ क्षण भर (1934),
- खय्याम की मधुशाला (1938),
- सोपान (1953),
- मैकबेथ (1957),
- जनगीता (1958),
- ओथेलो (1959),
- उमर खय्याम की रुबाइयाँ (1959),
- कवियों में सौम्य संत: पंत (1960),
- आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत (1960),
- आधुनिक कवि (1961),
- नेहरू: राजनैतिक जीवनचरित (1961),
- नये पुराने झरोखे (1962),
- अभिनव सोपान (1964))
- चौंसठ रूसी कविताएँ (1964)
- नागर गीता (1966),
- बच्चन के लोकप्रिय गीत (1967)
- डब्लू बी यीट्स एंड अकल्टिज़म (1968)
- मरकत द्वीप का स्वर (1968)
- हैमलेट (1969)
- भाषा अपनी भाव पराये (1970)
- पंत के सौ पत्र (1970)
- प्रवास की डायरी (1971)
- किंग लियर (1972)
- टूटी छूटी कड़ियाँ (1973)

हरिवंश राय बच्चन के अनमोल विचार- Harivansh Rai Bachchan Quotes In Hindi
“ कभी फूलो की तरह मत जीना , जिस दिन खिलोगे बिखर जाओगे , जीना है तो पत्थर की तरह जियो , किसी दिन तराशे गए तो खुदा बन जाओगे । ”
“ मै दीवानो का वेश लिए फिरता हूँ , मै मादकता निःशेष लिए फिरता हूँ , जिसको सुनकर जग झूमे , झुके लहराए , मै मस्ती का संदेश लिए फिरता हूँ । ”
असफलता एक चुनौती है , इसे स्वीकार करो क्या कमी रह गई , देखो और सुधार करो जब तक न सफल हो , नींद चैन को त्यागो तुम संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो , तुम कुछ किये बिना ही जय – जयकार नही होती कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती । ”
जग के विस्तृत अंधकार मे जीवन के शत –शत विचार मे हमे छोड़कर चली गई , लो दिन की मौन संगिनी छाया साथी , अन्त दिवस का आया । ”
“ जो बीत गई सो बात गई । ”
“ समझदार इंसान का दिमाग ज्यादा चलता है और मुर्ख इंसान का जूबान ज्यादा चलता है । ”
“ एक अजीब सी दौड़ है ये जिन्दगी , जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते है और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते है । ”
“ जो बीत गई सो बात गई , जीवन मे एक सितारा था , माना वह बेहद प्यारा था वह डूब गया तो डूब गया , अम्बर के आनन को देखो , कितने इसके तारे टूटे , कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले ,पर बोलो टूटे तारो पर , कब अम्बर शोक मनाता है जो बीत जो बीत गई सो बात गई । ”
“ सोचा था घर बनाकर बैठूंगा सुकून से… पर घर की जरूरतो ने मुसाफिर बना डाला !!! सुकून की बात मत कर ये गालिब… बचपन वाला “ इतवार ” अब नही आता । ”
“ कैसी है पहिचान तुम्हारी राह भूलने पर मिलते हो ! ”
“ प्रेम चिरतन मूल जगत का , वैर – घृणा भूले क्षण की , भूल –चूक लेनी – देनी मे सदा सफलता जीवन की । ”
बीता अवसर क्या आएगा , मन जीवन भर पछताएंगा , मरना तो होगा ही मुझको , जब मरना था तब मर सका ! मै जीवन मे कुछ न कर सका !
“ स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो , सत्य का भी ज्ञान कर ले । पूर्ण चलने के बटोही , बाट की पहचान कर ले । ”
“ बैठ जाता हूँ मिट्टी पर अक्सर क्योकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है … ”
“ तुमको ना भूल पाएंगे ! ”
“ तुमने जिस दिन जाल फैलाया था तुमने उच्दोष किया था , तुम उपकरण हो , जील फैल रही है , हाथ किसी और के है तब समेटने वाले हाथ कैसे तुम्हारे हो गए ? ”
“ मै दिवानो का वेश लिए फिरता हूँ मै मादकता निःशेष लिए फिरता हूँ , जिसको सुनकर जग झूमे , झुके ,लहराए , मै मस्ती का सेदेश लिए फिरता हूँ । ”
“ मै एक जगत को भूला मै भूला एक जमाना , कितने घटना – चित्रो मे भूला मै आना – जाना । ”
“ प्यार किसी को करना , लेकिन कहकर उसे बताना क्या अपने को अर्पण करना पर औरो को अपनाना क्या !!! ”
हरिवंश राय बच्चन के अनमोल विचार- Harivansh Rai Bachchan Quotes
FAQ
हरिवंश राय बच्चन का जन्म कहां और कब हुआ ?
हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद में हुआ था।
क्यों की हरिवंश राय बच्चन ने दूसरी शादी ?
हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी का आक्समिक निधन हो गया था। जिसके गम से वो निकल नहीं पाए तभी उनकी मुलाकात तेजी सूरी से हुई जिसके बाद उनकी शादी हुई। अमिताभ तेजी सूरी के ही लड़के हैं I
अमिताभ बच्चन का माता का नाम क्या था?
अमिताभ बच्चन का माता का नाम तेजी बच्चन ( तेजी सूरी ) था?
हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी है?
कविता संग्रह
तेरा हार (1929),
मधुशाला (1935),
मधुबाला (1936),
मधुकलश (1937),
आत्म परिचय (1937),
निशा निमंत्रण (1938),
एकांत संगीत (1939),
आकुल अंतर (1943),
सतरंगिनी (1945),
हलाहल (1946),
बंगाल का काल (1946),
खादी के फूल (1948),
सूत की माला (1948),
मिलन यामिनी (1950),
प्रणय पत्रिका (1955),
धार के इधर-उधर (1957),
आरती और अंगारे (1958),
बुद्ध और नाचघर (1958),
त्रिभंगिमा (1961),
चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962),
दो चट्टानें (1965),
बहुत दिन बीते (1967),
कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968),
उभरते प्रतिमानों के रूप (1969),
जाल समेटा (1973)
नई से नई-पुरानी से पुरानी (1985)
आत्मकथा
क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969),
नीड़ का निर्माण फिर (1970),
बसेरे से दूर (1977),
दशद्वार से सोपान तक (1985)
प्रवास की डायरी
विविध
बच्चन के साथ क्षण भर (1934),
खय्याम की मधुशाला (1938),
सोपान (1953),
मैकबेथ (1957),
जनगीता (1958),
ओथेलो (1959),
उमर खय्याम की रुबाइयाँ (1959),
कवियों में सौम्य संत: पंत (1960),
आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत (1960),
आधुनिक कवि (1961),
नेहरू: राजनैतिक जीवनचरित (1961),
नये पुराने झरोखे (1962),
अभिनव सोपान (1964))
चौंसठ रूसी कविताएँ (1964)
नागर गीता (1966),
बच्चन के लोकप्रिय गीत (1967)
डब्लू बी यीट्स एंड अकल्टिज़म (1968)
मरकत द्वीप का स्वर (1968)
हैमलेट (1969)
भाषा अपनी भाव पराये (1970)
पंत के सौ पत्र (1970)
प्रवास की डायरी (1971)
किंग लियर (1972)
टूटी छूटी कड़ियाँ (1973)
हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित एकमात्र डायरी का नाम क्या है?
प्रवास की डायरी
बच्चनजी का पहला लेख कौनसी पत्रिका में छपा था?
बच्चनजी का पहला लेख प्रणय पत्रिका (1955 ई.) में छपा था
हरिवंश राय बच्चन की मृत्यु कब हुई?
हरिवंश राय बच्चन की मृत्यु 18 जनवरी 2003 में हुईI
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