600-700 Words Essay speech on Guru Nanak Dev

गुरु नानक देव पर  600-700 शब्दों में  निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Guru Nanak Dev in Hindi

गुरु नानक देव पर  600-700 शब्दों में  निबंध, भाषण – 600-700 Words Essay speech on Guru Nanak Dev in Hindi

गुरु नानक देव से जुड़े छोटे निबंध जैसे गुरु नानक देव पर  600-700 शब्दों में  निबंध,भाषण  स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में  पूछे जाते है। इसलिए आज हम  600-700 Words Essay speech on Guru Nanak Dev in Hindi के बारे में बात करेंगे ।

600-700 Words Essay, speech on Guru Nanak Dev in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12

हिंदू कहाँ तो मारिहरै, मुसलमान हूं नाह

पांच तत्व का पूरा नानक मेरा ना

अर्थात अगर मैं स्वयं को हिंदू कहूं, तो लोग मुझे मारेंगे और मैं मुसलमान भी नहीं हूं। मैं तो पांच तत्वों से बना हुआ मनुष्य मात्र हूं और मेरा नाम नानक है। ऐसा कहने वाले गुरु नानक सब मनुष्यों को समान समझते थे। उनके प्रकट होने से समूचे भारत में ठीक वैसा ही प्रकाश फैल गया था, जैसे उनके आविर्भाव से दो हजार वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध के अवतीर्ण होने पर फैला था।

प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान पर्व मनाया जाता है, परंतु संवत् 1526 की कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन कालूराम पटवारी के घर तृप्ता की कोख से पंजाब के तलवंडी नामक ग्राम में गुरु नानक ने जन्म लिया था। आजकल तलवंडी को ‘ननकाना साहब’ कहा जाता है। यह स्थान पाकिस्तान में लाहौर से लगभग 40 मील दूर स्थित है। उनके जन्म पर माता-पिता को अपार हर्ष हुआ। माता-पिता ने उन्हें शिक्षा-दीक्षा के लिए पंडित गोपाल की पाठशाला में भेजा। जब वे पंडित जी से मिले, तो उनसे पूछ बैठे, “गुरु जी, आप मुझे क्या-क्या पढ़ाएंगे?” पंडित जी बोले, “गणित और हिंदी।” नानक ने कहा, “गुरु जी, मुझे तो करतार का नाम पढ़ाइए, इनमें मेरी रुचि नहीं है।” इस प्रकार बाल्यकाल से ही गुरु नानक का भक्ति तथा वैराग्य की ओर झुकाव था। इससे उनके पिता चिंतित रहते थे। एक बार नानक जी को पशु चराने का काम सौंपा गया, जो उनके लिए अति उत्तम था, क्योंकि जंगल का एकांत वास ईश्वर-भजन के लिए लाभप्रद होता है।

एक बार नानक के पिता ने उन्हें कुछ धन देकर कार्य-व्यापार करने के लिए शहर भेजा, परंतु उन्होंने सारा धन रास्ते में साधुओं की एक टोली को भोजन कराने में खर्च कर दिया और घर आकर कह दिया कि वे ‘सच्चा सौदा’ कर आए। उनकी दृष्टि में भूखों जन कराना ही सच्चा सौदा था। उसके पश्चात नानक के पिता ने उन्हें नानकी के पास नौकरी के लिए भेज दिया। उनके बहनोई ने उन्हें नवाब दौलत खां के मोदीखाने में नौकर रखवा दिया। वहां भी उन्होंने अपनी आदत नहीं छोड़ी और सरकारी अनाज साधुओं तथा दीन-दुखियों में बांटते रहे।

एक बार शिकायत करने पर उनके माल की जांच की गई तो गोदाम का माल पूरा उतरा। तब से वहां के लोग उन्हें श्रद्धापूर्वक देखने लगे।

गुरु नानक देव के माता-पिता ने उनको गृहस्थी के जाल में बांधने के लिए उनका विवाह कर दिया। उनके दो पुत्र श्रीचंद्र तथा लक्ष्मीचंद्र हुए। फिर भी उनका मन गृहस्थ जीवन में नहीं लगा। वे घर-बार छोड़कर प्रभु भक्ति तथा धर्म-प्रचार के लिए बाहर चले गए। उन्होंने ‘बाला’ और ‘मरदाना’ नामक शिष्यों के साथ सारे भारत का भ्रमण किया। स्थान-स्थान पर साधु-संतों से ज्ञान की चर्चा की और जन साधारण को अमृत वाणी का संदेश दिया। उनके उपदेशों में समस्त धर्मों का सार था। उन्होंने अति सरल पदों और भजनों द्वारा एकता तथा उदारता का उपदेश दिया, जो ‘गुरुग्रंथ साहब’ में संकलित है। अपनी धार्मिक रचनाओं के कारण वे हिंदी के संत कवियों में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

सबसे पहले गुरु नानक ने पंजाब का भ्रमण किया। वे उत्तर, दक्षिण पूर्व और पश्चिम चारों दिशाओं में घूमते रहे। उनकी ये यात्राएं चार उदासियों के नाम से प्रसिद्ध हैं। पंजाब की यात्रा के बाद वे हरिद्वार गए। वहां उन्होंने अंधविश्वासों का खंडन किया, जिनसे भारतीय जनता काफी परेशान थी। इससे दिनो-दिन उनकी प्रतिष्ठा बढ़ने लगी तथा उनके शिष्यों की संख्या में वृद्धि हुई। उत्तर भारत के समस्त नगरों की यात्रा करके वे रामेश्वरम और सिंहल द्वीप तक पहुंचे। वे भारत के अलावा सिक्किम, भूटान, तिब्बत, मक्का और मदीना भी गए।

जीवन भर भ्रमण करते एवं विभिन्न धर्मानुयायियों के संसर्ग में रहते हुए गुरु नानक ने यह जान लिया कि बाहर से अलग दिखाई देने वाले सभी धर्म वास्तव में एक हैं, जो समाज सेवा, सच्चरित्रता और भगवत भक्ति की शिक्षा देते में हैं तथा मिथ्याचार, आडंबर, असत्य एवं संकीर्णता का विरोध करते हैं। उनके अनुसार सच्चे इस्लाम धर्म का हिंदू धर्म से कोई विरोध नहीं है। वे कहते थे कि पाखंड छोड़ो, आडंबर में मन मत लगाओ तथा भगवान से सच्ची लौ लगाओ; तभी शांति मिलेगी। उन्होंने भारतीयों को सच्ची मानवता का उपदेश दिया था।

गुरु नानक भ्रमण करते हुए बगदाद से अपने देश पहुंचे और पंजाब में करतारपुर नामक गांव बसाया। सन 1538 में 70 वर्ष की आयु में उनका देहावसान हुआ। उन्होंने अपना शरीर त्यागने की सूचना पहले ही शिष्यों को दे दी थी। सिक्ख धर्म हमें आज भी गुरु नानक देव का पुनीत स्मरण कराता है। गुरु नानक देव तत्वज्ञानी संत थे। उन्होंने पथभ्रष्ट मानवता को दिव्य मार्ग दिखाया।

600-700 Words Essay speech on Guru Nanak Dev
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श्री गुरु नानक देव के प्रेरणादायक अनमोल वचन – Shree Guru Nanak Dev Quotes In Hindi

1) ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र मे मौजूद है ।

2) उसकी चमक से सब कुछ प्रकाशमान है ।

3) अगर किसी दूसरे का दुःख देखकर आपको भी दुःख होता है , तो समझ लेना भगवान ने आपको इंसान बना कर कोई गलती नही की ।

4) न कोई हिन्दू है न मुसलमान है , सभी मनुष्य है , सभी समान है ।

5) भगवान एक है लेकिन उसके कई रूप है , वो सभी का निर्माणकर्ता है , और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है ।

6) सिर्फ वही शब्द बोलना चाहिए जो शब्द हमे सम्मान दिलाते है ।

7) जिसे खुद पर विश्वास नही है वह कभी भगवान पर विश्वास नही कर सकता ।

8) दुनिया मे किसी भी व्यक्ति को भम्र मे नही रखना चाहिए , बिना गुरू के कोई भी दुसरे किनारे तक नही जा सकता है ।

9) भगवान एक है,लेकिन उसके कई रूप है वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है ।

10) संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारो पर विजय पाना अत्यावश्यक है ।

11) भले ही उसे विभिन्न नामो से पुकारते है , पर वास्तव मे ईश्वर एक है ।

12)  ये पूरी दुनिया कठनाइयो मे है । वह जिसे खुद पर भरोसा है वही विजेता कहलाता है

13) वह सब कुछ है लेकिन भगवान केवल एक ही है , उसका नाम सत्य है , रचनात्मकता उसकी शख्सियत है , अनश्र्वर ही उसका स्वरूप है , जिसमे जरा भी डर नही , जो द्वेष भाव से पराया है , गुरू की दया से ही इसे प्राप्त किया जा सकता है

14) ईश्वर सर्वत्र विद्धमान है , हम सबका पिता है , इसलिए हम सबको मिल-जुलकर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए ।

15) बुरा कार्य करने के बारे मे न सोचे और न किसी को सताएं ।

16) संसार को जीतने के लिए अपनी कमियो और विकारो पर विजय पाना भी जरूरी है ।

17) धन धन्य से परिपूर्ण राज्यो के राजाओ की तुलना , उस एक चीटीं से नही की जा सकती जिसका हृदय ईश्र्वर भक्ति से भरा हुआ है ।

18) किसी ने गुरू नानक से पूछा- आप बड़े है फिर भी आप नीचे क्यो बैठते है ?

बड़ा खूबसूरत जवाब दिया -–“ निचे बैठने वाला आदमी कभी गिरता नही ”

19) कोई उसे तर्क द्वारा नही समझ सकता , भले वो युगो तक तर्क करता रहे ।

20) ना मै एक बच्चा हूँ ना एक नवयुवक , ना ही मै पौराणिक हूँ , ना ही किसी जाति का हूँ ।

21) शान्ति से अपने ही घर मे खुद का विचार करे तब आपको मृत्यु का दूत छू भी नही पायेगा ।

22) प्रभु के लिए खुशियो के गीत गाओ , प्रभु के नाम की सेवा करो , और उसके सेवको के सेवक बन जाओ ।

23) जीवन मे इंसान के लिए दो चीजे ही ‘ अहम ’ है पहला गुरू का डर और दूसरा गुरू का दर , गुरू का डर रहेगा तो इंसान गुनाह करने से बचेगा और गुरू का “ दर ” रहेगा तो उसकी रहमते बरसती रहेगी ।

24) सतगुरू कहते है कि अंहकारी इंसान एक अंधे के समान है जिसे न तो अपनी गलती दिखाई देती है न दुसरो की अच्छाई ।

25) कर्म भूमि पर फल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है ।

26) बंधुओ ! हम मौत को बुरा नही कहते , यदि हम जानते कि वास्वत मे मरा कैसे जाता है ।

27) तेरी हजारो आँके है और फिर भी एक आंख भी नही; तेरे हजारो रूप है फिर भी एक रूप भी नही ।

28) उसकी चमक से सबकुछ प्रकाशमान है ।

29) मेरा जन्म नही हुआ है , भला मेरी जन्म या मृत्यु कैसे हो सकती है । 

30) दुनिया एक नाटक है , जो एक सपने मे मंचित है ।

31)  संसारिक प्यार को जला दो , राख को रगड़ कर उसकी स्याही बना लो , दिल को कलम, बुध्दि को लेखक बना लो , वो लिखो जिसका कोई अन्त ना हो… कोई सीमा ना हो…

32) जिन्होने प्रेम किया है वे वो है जिन्होने प्रेम को ढूंढ लिया है ।

33) आपकी दया मेरी सामाजिक स्थिति है ।

34) एक योगी को किस बात का भय ? पौधे , पेड़ और जो कुछ भी अन्दर और बाहर है वह खुद ही है ।

35) वह जो सभी को बराबर मानता है धार्मिक है ।

36) अपने अस्तित्व के निवास मे शान्ति से रहो , और मृत्यु दूत तुम्हे छू भी नही पायेगे ।

37) इस दूनियॉ मे जब तुम खुशियॉ मांगते हो दर्द सामने आ जाता है ।

38) सत्य को जानना हर एक चीज से बड़ा है , उससे भी बड़ा है सच्चाई से जीना ।

39) जहॉ भी प्रत्येक का संरक्षक मुझे रखता है , वही स्वर्ग है ।

40) अच्छी बुद्धि से चित्त अच्छा हो जाता है ।

41) कोई भी ईश्वर की सीमाओ और हदो को नही जान पाया है ।

42) मै लगातार उसके चरणो को नमन करता हूँ , और उससे प्रार्थना करता हूँ , गुरू , सच्चे गुरू ने मुझे रास्ता दिखाया है ।

43) जो भी बीज बोया जाता है , उस तरह का एक पौधा सामने आता है ।

44) कोई भी उसे तर्क के माध्यम से समझ नही सकता है , भले ही वह उम्र का कारण हो ।

45) मेहनत और ईमानदारी से काम करके असमे से जरूरतमन्द को भी कुछ देना चाहिए ।

46) अपने जीवन मे कभी ये न सोचे की यह नामुमकिन है ।

47) गुरू के भजनो को गाकर, मै प्रभु की महिमा फैलाता है ।

48) अकेले ही उसे लगातार एकांत मे ध्यान करने दो जो कि उसकी आत्मा के लिए सलाम है , क्योकि जो एकांत मे ध्यान करता है वह परम आनन्द को प्राप्त होता है ।

49) जब आप किसी की मदद करते है तो ईश्वर आपकी मदद करता है ।

50) गुरू नानक देव ने इक ओंकार का नारा दिया यानी ईश्वर एक है ।

51) व्यक्ति अपनी जीवन सोने और खाने मे गवॉ देता है और उसका महत्वपूर्ण जीवन बर्बाद हो जाता है ।

52) जिन्होने प्रेम किया है वे वही है जिन्होने परमात्मा को पाया है ।

53) रस्सी की अज्ञानता के कारण क्षणिक स्थिति भी स्वमं का व्यक्तिगत , सीमित , अभूतपूर्ण स्वरूप प्रतीत होती है।

54) कभी किसी का हक नही छीनना चाहिए जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे कही भी सम्मान नही मिलता ।

55) ईश्वर की प्राप्ति गुरू द्वारा संभव है ।

56) धन को जब तक ही रखे उसे हृदय मे स्थान न दे ।

57) भगवान के दरबार मे सभी कर्मो का लेखा-जोखा होता है ।

58) अहंकार मानवता का अंत करता है । अंहकार कभी नही करना चाहिए बल्कि हृदय मे सेवा का भाव रखना चाहिए ।

श्री गुरु नानक देव के प्रेरणादायक अनमोल वचन

FAQ

गुरुनानक देव का जन्म कब हुआ?

15 अप्रैल 1469 , पंजाब के तलवंडी में

गुरु नानक की मृत्यु कब हुई?

22 सितम्बर 1539

गुरु नानकजी का जन्म कहाँ हुआ था?

ननकाना साहिब , पकिस्तान में

गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है?

हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है

गुरु नानक की माता का नाम क्या था?

माता तृप्ता

गुरु नानक के पुत्र का क्या नाम था?

श्री चंद और लख्मी दास

सिखों के छठे गुरु कौन थे?

गुरु हरगोबिन्द सिंह सिखों के छठे गुरु थे। 

सिखों के पांचवें गुरु कौन थे?

गुरु अर्जुन देव सिखों के पांचवें गुरू थे। 

सातवें गुरु कौन थे?

सिखों के सातवें गुरु थे, गुरु हर राय सिंह जी

सिख कौन सी जाति में आते हैं?

सिख धर्म के अनुयायी जाट समुदाय को जाट सिख या पंजाबी भाषा में जट्ट सिक्ख (गुरमुखी: ਜੱਟ ਸਿੱਖ) कहा जाता है। 

सिख धर्म के अंतिम गुरु कौन थे?

गुरु ग्रंथ साहिब सिख समुदाय का एक धार्मिक ग्रंथ है. इसे केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, सिख धर्म का अंतिम और जीवित गुरु भी माना जाता है. 

सिख धर्म में कितने गुरु हुए हैं?

सिख धर्म के 10 गुरु हुए हैं।

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