600-700 Words Essay speech on Gautama Buddha

गौतम बुद्ध  पर  600-700 शब्दों में  निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Gautama Buddha in Hindi

गौतम बुद्ध  पर  600-700 शब्दों में  निबंध, भाषण – 600-700 Words Essay speech on Gautama Buddha in Hindi

गौतम बुद्ध  से जुड़े छोटे निबंध जैसे गौतम बुद्ध  पर  600-700 शब्दों में  निबंध,भाषण  स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में  पूछे जाते है। इसलिए आज हम  600-700 Words Essay speech on Gautama Buddha in Hindi के बारे में बात करेंगे ।

600-700 Words Essay, speech on Gautama Buddha in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12

ईसा पूर्व छठी शताब्दी के आस-पास भारत में हिंसा का बोलबाला था। यहां तक कि धार्मिक यज्ञों में देवी-देवताओं की वेदी पर भी नरबत्ति एवं पशुबलि देने की प्रथा थी। कमजोर जीवों में त्राहि-त्राहि मची हुई थी। ऐसी ही विषम परिस्थितियों में जनमानस के बीच अहिंसा, शांति, प्रेम, करुणा और दया का पाठ पढ़ाने के लिए महामना तथागत गौतम बुद्ध का आविर्भाव हुआ। लोगों ने इन्हें भगवान का नौवां अवतार माना है।

आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व नेपाल की तराई में कपिलवस्तु के लुंबिनी राज्य में राजा शुद्धोदन की पत्नी रानी महामाया देवी के गर्भ से गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बालक सिद्धार्थ को जन्म देने के सातवें दिन ही महामाया जी चल बसीं। फलतः इनका लालन-पालन राजा शुद्धोदन की दूसरी पत्नी नंदजननी महाप्रजावती द्वारा किया गया।

सिद्धार्थ को शस्त्र और शास्त्र- दोनों की शिक्षा देने की व्यवस्था की गई, लेकिन उनका झुकाव शास्त्र की ओर था। बचपन से ही इनकी प्रवृत्ति राग रहित और त्यागमयी थी। इनकी वीतरागी प्रवृत्ति से राजा शुद्धोदन बड़े चिंतित हुए। सिद्धार्थ का मन संसार में रमाने के लिए उन्होंने इनके भोग-विलास का पूरा प्रबंध किया। इनके मनोरंजन हेतु नाटक में काम करने वाली 40 हजार सुंदर युवतियों को लगाया गया। इनका विवाह अनिंद्य सुंदरी राजकुमारी यशोधरा के साथ हुआ। इनके आस-पास हमेशा नूतन वस्तुओं को ही लाया जाता, ताकि इन्हें जीवन की नश्वरता का बोध न हो। कुछ समय बाद सिद्धार्थ को एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम राहुल रखा गया। इनका मन संसार में नहीं रमा। एक दिन भ्रमण के दौरान जर्जर वृद्ध, रोगी, मृतक तथा संन्यासी को देखकर वे सोचने लगे, ‘क्या मेरी सुंदर पत्नी यशोधरा भी एक दिन जरा को प्राप्त हो जाएगी ?”

इन घटनाओं से सिद्धार्थ के हृदय का वैराग्य प्रबल हो उठा। फलस्वरूप माया के सारे बंधनों को तोड़कर उन्होंने वन की ओर प्रस्थान किया। सच्चे ज्ञान एवं मानसिक शांति की खोज हेतु वे महात्माओं से सत्संग करते-करते वैशाली और राजगीर होते हुए गया पहुंचे। वहां निरंजना नदी के पूर्वी तट पर इन्होंने कठोर तप किया। फिर भी इन्हें सत्य का साक्षात्कार नहीं हो सका। अतः इस मार्ग को छोड़कर इन्होंने मध्यम मार्ग अपनाना उचित समझा।

इस धारणा के पक्ष में गौतम ने कहा था, “वीणा के तार को इतना मत खींचो कि वह टूट जाए और न इतना ढील दो कि उससे कोई आवाज ही न निकल सके।” फिर गौतम ‘गया’ में ही वट वृक्ष के नीचे ध्यानस्थ हुए, जहां इन्हें आत्म साक्षात्कार हुआ। इसके बाद गौतम ‘भगवान बुद्ध’ कहलाने लगे। इनका पहला उपदेश अपने भूले-भटके पांच साथियों के मध्य सारनाथ में हुआ। इनके उपदेशों का सारांश होता था, “यह संसार दुखों का घर है।” इनसे मुक्ति पाने हेतु वे कहते, “भोग से बचो भोग रोग का कारण है। रोग से ही शोक उत्पन्न होता है और शोक की परिणति दुख ही है।”

महात्मा बुद्ध ने मुख्यतः चार आर्य सत्य को प्रचारित किया संसार की सारी चीजें क्षणभंगुर हैं। सांसारिक चीजों को पाने की तृष्णा से दुख की उत्पत्ति होती है।

600-700 Words Essay speech on Gautama Buddha
600-700 Words Essay speech on Gautama Buddha

भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल विचार

सभी गलत कार्यो की नीव मन से होता है यदि मन परिवर्तित और पवित्र हो जाय तो गलत कार्य नही रह सकता है

जो लोग चतुराई से जीते है उन्हें मौत से डरने की जरूरत नही होती है

एक जलते हुए दीपक से हजारो दीपक जलाये जा सकते है जिसकी कोई सीमा नही है फिर भी उसकी रौशनी कम नही होती है ठीक उसी तरह खुशिया बाटने से खुशिया कम नही होती है बल्कि और भी बढती है

क्रोध के लिए सजा नही मिलती बल्कि अपने क्रोध से की गयी गलती के लिए सजा मिलती है.

घृणा को घृणा से खत्म नही किया जा सकता है बल्कि इसे प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है जो की एक प्राकृतिक सत्य है

जो बीत गया उसमे नही उलझना चाहिए और ना ही भविष्य को लेकर ज्यादा चिंतित रहना चाहिए बल्कि हमे वर्तमान में ही जीना चाहिए यही ख़ुशी से जीने का रास्ता है.

तीन चीजे कभी छुप नही सकती है – सूर्य चंद्रमा और सत्य

हजार शब्दों से वह शब्द अच्छा है जो शांति लेकर आता है

हजारो लड़ाई लड़ने के बजाय खुद पर विजय प्राप्त करना चाहिए फिर जीत हमेसा खुद की होगी जिसे कोई छीन नही सकता है

जैसा सोचोगे वैसा ही बनोगे.

जैसे बिना आग के मोमबत्ती नही जल सकती है ठीक उसी तरह बिना आध्यात्मिक ज्ञान के इन्सान नही रह सकता है

शांति हमारे अंदर ही छिपी हुई है इसे बाहर ढूढना व्यर्थ है.

समुद्र भी बूंद बूंद से भरता है

हमारा दिमाग ही हमारा दोस्त और हमारा दुश्मन है.

दुसरो पर निर्भर रहने के बजाय अपना काम खुद से करना चाहिए

अच्छा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा उपहार है संतोष होना सबसे बड़ा धन है और वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है

अपने मुक्ति के लिए खुद से प्रयासरत बने, दुसरो पर निर्भर होना छोड़े.

जो इर्ष्या और जलन की आअग में तपते रहते है उन्हें कभी भी शांति और सच्चा सुख प्राप्त नही हो सकता है

अज्ञानी होना बैल होने के बराबर है जो सिर्फ आकार में बड़े होते है लेकिन उनके दिमाग में कोई वृद्धि नही होती है

क्रोधी व्यक्ति की स्थिति ठीक वैसी ही होती है जो की जलते हुए आग के टुकड़े को पकड़ने की कोशिश करते है जिसमे वे स्वय जलते रहते है.

भले ही चाहे कितने अच्छी बातो को पढ़ ले या उन्हें सुन ले उसका तबतक फायदा नही है जबतक हम खुद उसपर अमल नही करते है

जीभ एक ऐसा हथियार है जो बिना खून निकाले ही मार देता है

शरीर को स्वच्छ रखना हमारा कर्तव्य है वरना हम अपने दिमाग को मजबूत और स्वच्छ नही रख पायेगे

बिना सेहत के स्वस्थ्य जीवन की कल्पना करना बेमानी है जो की पीड़ा की स्थिति होती है जिसे मौत का प्रतिबिम्ब कहा जा सकता है.

अपना रास्ता हमे खुद से बनाना होता है क्युकी इस दुनिया में हम अकेले आये है और अकेले ही जाना पड़ेगा तो ऐसे में हमारी किस्मत भी खुद से बनाते है

हम तभी असफल होते है जब असत्य का सहारा लेते है

हमारा दुश्मन ही हमारा उतना नुकसान नही कर सकता है जितना हमारा विचार खुद से हमारा नुकसान कर सकता है

ये कभी मत सोचो की ये क्या हो गया बल्कि ये हमेसा करने की सोचो की हमे आगे क्या करना है.

गलत चीजो की शुरुआत हमारे गलत विचारो से ही आते है

जो करना है आज ही करे क्या पता कल हमारे पास जिन्दगी ही नही रहे

बुराई करने वालो को हमेसा अपने पास रखो क्युकी वही तुम्हारी गलतिया तुम्हे बता सकते है.

हम अपने भाग्य के निर्माता खुद से होते है

अगर लापरवाह रहते है तो नर्म घास से भी हाथ छिल जाते है इसलिए धर्म के प्रति की गयी लापरवाही हमे नरक के द्वार पर ले जाती है

हमारा शरीर अनमोल है खुद को जागृत करने का सबसे बड़ा साधन है इसलिए इसका हमेसा ख्याल रखे.

कुछ अच्छे विचार जो हमारी जिन्दगी की सोच को बदल दे

यदि हम अपनी समस्या का हल निकाल सकते है तो फिर चिंता करने की क्या जरूरत, और यदि समस्या का कोई हल ही नही तो फिर उसका चिंता करने से कोई फायदा ही नही

अगर आप सही रास्ते पर चल रहे है तो आपका काम है लगातार आगे चलते रहना

जो लोग ज्यादा बोलते है वे सीखने की कोशिश नही करते जबकि समझदार व्यक्ति हमेसा निडर और धैर्यशाली होता है जो समय आने पर ही बोलता है

यदि हम अपने पसंद का काम ढूढ़ते है तो हमारा फर्ज है की उस काम को करने में खुद को लगा देना होता है

आप तभी खुश रह सकते है जब बीत गयी बातो को भुला देते है.

यदि आध्यात्म और सत्य की राह में कोई नही मिलता तो भी अकेले ही चलिए

दर्द तो मिलना स्वाभाविक है फिर दुखी होना या न होना आपके हाथ में है

अगर बुराई से दूर रहना है तो अच्छाई को बढ़ावा दीजिये और खुद के मन में अच्छे अच्छे विचार का विकास करे

मोह बंधन ही सभी दुखो की जड़ है.

जो आज हम कर रहे है वही हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है

हर व्यक्ति को सजा से डर लगता है सभी लोग मौत से डरते है सभी लोगो को अपने समान समझिये, कभी भी किसी जीव की हत्या ना करे और दुसरो को भी ऐसा करने से रोके

माता पिता बनना सबसे प्यारा अनुभव होता है उत्साह से जीवन जीना और खुद पर महारत हासिल करना ख़ुशी देता है.

बुरे व्यक्ति को भी अच्छाई से जीता जा सकता है

ख़ुशी पाने का कोई रास्ता नही होता है खुश रहना ही ख़ुशी है

जो लोग थोड़े में भी खुश हो जाते है वही व्यक्ति ज्यादा ख़ुशी होता है

अगर खुद से प्यार करते है तो निश्चित आप कभी दुसरो को चोट नही पंहुचा सकते है.

ख़ुशी अपने से नही बल्कि हमारे अच्छे कर्मो से मिलती है

पूरी दुनिया में अँधेरा चाहे जितना ताकत लगा ले लेकिन एक मोमबत्ती के रौशनी तक को मिटा नही सकता

संदेह या शंका करना एक ऐसी भयंकर बीमारी है जो सारे रिश्तो को पलभर में तोड़ देती है

मन की अवस्था सभी मानसिक अवस्थाओ से ऊपर है.

झरना बहुत ही शोर मचाता है जबकि सागर हमेसा गहरा और शांत रहता है

जो व्यक्ति खुद के क्रोध पर काबू पा लेता है वह उस कुशल गाड़ीवान के समान है जो विषम परिस्थिति में भी अपने गाडी को संभाल सकता है

हमेसा सोच समझकर ही दुसरो पर भरोषा करे.

अपनी मंजिल का रास्ता खुद से बनाये

जो व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में भी विचलित नही होते है उन्हें ही सच्चे मन की शांति मिलती है

ज्ञानी व्यक्ति की कभी भी मृत्यु नही होती है वे अपने ज्ञान का प्रकाश हमेसा बिखरते रहते है जबकि मुर्ख और अज्ञानी व्यक्ति पहले से ही अपने विचारो से मरे होते है

भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल विचार

FAQ

बुद्ध की मृत्यु क्या खाने से हुई?

सुअर का मांस खाने से बुद्ध की मृत्यु हुई थी.

बुद्ध को क्या ज्ञान प्राप्त हुआ?

वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई,

बुद्ध किसकी पूजा करते थे?

 भगवान बुद्ध देवी तारा की आराधना करते थे। 

गौतम बुद्ध की मृत्यु कहाँ हुई थी?

गौतम बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर में हुई थी.

आखेटक और गौतम के बीच क्या वििाद हुआ?

आखेटक और गौतम के बीच घायल हंस के अधिकार के लिए विवाद हुआ।

गौतम बुध का मृत्यु कब हुई?

गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई. में पूर्व कुशीनारा में हुई थी। उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी।

ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ क्या कहलाये?

6 वर्ष की तपस्या के बाद सिद्धार्थ ने सच्चा ज्ञान प्राप्त कर लिया। तब वह ‘बुद्ध’ कहलाए।

बौद्ध धर्म की भाषा क्या थी?

पाली , इसको बौद्ध त्रिपिटक की भाषा के रूप में भी जाना जाता है। पालि, ब्राह्मी परिवार की लिपियों में लिखी जाती थी।

गौतम बुद्ध के पिता का नाम क्या था?

शुद्दोधन

भगवान गौतम बुद्ध का जन्म कब और कहां हुआ था?

भगवान गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बनी , नेपाल 563 ईसा पूर्व में हुआ था

पाली भाषा में भगवान का अर्थ क्या है?

पाली भाषा में भगवान का अर्थ होता है, – भग मतलब भग्न करना (तोडना ) और वान मतलब इच्छाये, तो इसका मतलब ये हुआ , की जो भी इंसान इछाओंसे परे होता है , वह भगवान की उपाधि का पात्र होता है।

बौद्ध मंदिर को क्या कहा जाता है?

इनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार से हैं:- विहार, पगोडा, स्तूप, चैत्य, गुफा, बुद्ध मुर्ती एवं अन्य।

भगवान बुद्ध का बचपन में क्या नाम था?

गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था.

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