डॉ राजेंद्र प्रसाद पर 600-700 शब्दों में निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Dr Rajendra Prasad in Hindi
डॉ राजेंद्र प्रसाद से जुड़े छोटे निबंध जैसे डॉ राजेंद्र प्रसाद पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600-700 Words Essay speech on Dr Rajendra Prasadin Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600-700 Words Essay, speech on Dr Rajendra Prasad in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार प्रांत के सारण जिले के जीरादेई नामक गांव में एक संभ्रांत कायस्थ कुल में हुआ था। इनका पारिवारिक और आर्थिक जीवन सुखमय था। इनके पूर्वज हथुआ राज्य के दीवान थे। इनकी आरंभिक शिक्षा फारसी और उर्दू में हुई थी। इन्होंने उच्च शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय में प्राप्त की। वे बहुत मेधावी और कुशाग्र बुद्धि के थे। हाई स्कूल की परीक्षा में इन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। इन्होंने जितनी भी परीक्षाएं दीं, वे सभी में प्रथम आते रहे। एल.एल.बी. तथा एल.एल.एम. की परीक्षाओं में कई प्रांत के विद्यार्थियों में इन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। परीक्षक ने इनकी प्रतिभा से मुग्ध होकर उत्तर पुस्तिका पर लिखा
Examinee is Better than Examiner.
परीक्षक
सन 1904 में बंग भंग के विरोध में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने छात्र जीवन में ही अंग्रेजी वस्तुओं का विरोध किया। सन 1906 जब कांग्रेस अधिवेशन शुरू हुआ, उस समय वे एक साधारण कार्यकर्ता थे। रोलेट एक्ट के बाद इन्होंने वकालत छोड़ दी और सन 1920 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन शुरू करने पर उनके साथ जुड़ गए। प्रारंभिक काल में इनका परिचय एक महान राजनीतिज्ञ एवं समाजसेवी गोपाल कृष्ण गोखले से हुआ। उनके समस्त गुण राजेंद्र बाबू में मौजूद थे। राजेंद्र बाबू गांधी जी से अधिक प्रभावित थे। उन पर गांधी जी का इतना प्रभाव था कि इन्हें ‘बिहार का गांधी’ कहा जाता था। राजेंद्र बाबू सब कुछ छोड़कर बिहार को अपना नेतृत्व देने लगे।
सन 1934 में बिहार में अत्यंत भयंकर भूकंप आया। उस समय राजेंद्र बाबू जेल में थे। जेल से छूटने के बाद अस्वस्थता की हालत में भी इन्होंने गांव गांव जाकर दवा, कपड़ा, भोजन आदि की व्यवस्था की। उस समय की जनता इन्हें कभी न भूल सकी। राजेंद्र बाबू पक्के हिंदी भाषी भारतीय थे। उन्होंने बिहार में बिहार विद्यापीठ के नाम से एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की, लेकिन अंग्रेजों ने इस संस्था को आगे नहीं बढ़ने दिया।
देश की आजादी के संघर्ष में राजेंद्र बाबू को कई बार जेल जाना पड़ा। लेकिन वे अपने पथ पर अविचलित आगे बढ़ते रहे। वे दो बार अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और कई बार कांग्रेस में उत्पन्न विवाद की गुत्थियों को सुलझाकर अपनी प्रतिभा का प्रमाण दिया।
15 अगस्त, 1947 को जब हमारा देश आजाद हुआ, तब एक विधान निर्माण सभा बनी, जिसके सभापति बाबू राजेंद्र प्रसाद बनाए गए। यह महान कार्य इन्हीं के द्वारा संपन्न हुआ। इन्होंने अपने कुशल मार्गदर्शन में भारत का संविधान तीन वर्ष के भीतर तैयार कराया। इस संविधान के लागू होते समय इन्हें भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया। ये 1961 तक इस पद पर रहे।
सन 1963 में देशरत्न राजेंद्र बाबू का निधन पटना के सदाकत आश्रम में हुआ। वे एक कुशल प्रहरी, गरीबों के साथी, किसानों के भाई तथा नर-नारियों के नेता के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे और लोग इनके आदर्शों से युगों तक प्रेरणा लेते रहेंगे। इनकी रचनाएं तथा आत्मकथा आज भी इनकी याद दिलाती है। निःसंदेह वे एक महान एवं तेजस्वी पुरुष थे।
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FAQ
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का पूरा नाम क्या है?
राजेंद्र प्रसाद
राजेन्द्र प्रसाद का जन्म कहाँ हुआ था?
जीरादेई
राजेंद्र प्रसाद भारत के राष्ट्रपति कब बने?
26 जनवरी, 1950
राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा का नाम क्या है?
राजेन्द्र बाबू ने अपनी आत्मकथा (1946) लिखी
राजेंद्र प्रसाद की जयंती कब है?
3 दिसम्बर
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल कब से कब तक था?
राष्ट्रपति के रूप में राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक का रहा
डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत रत्न कब दिया गया था?
1962
डॉ राजेंद्र प्रसाद कितनी बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने?
2 बार , 1934 से 1935
राजेंद्र प्रसाद के पिता का क्या नाम था?
महादेव सहाय
डॉ राजेंद्र प्रसाद की पत्नी का क्या नाम था?
राजवंशी देवी
डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म और मृत्यु कब हुआ था?
राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था, जबकि उनकी मृत्यु 28 फरवरी 1963 को हुई थी।