डॉ. होमी जहांगीर भाभा पर 600-700 शब्दों में निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Dr Homi J. Bhabha in Hindi
डॉ. होमी जहांगीर भाभा से जुड़े छोटे निबंध जैसे डॉ. होमी जहांगीर भाभा पर 600-700 शब्दों में निबंध,भाषण स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में पूछे जाते है। इसलिए आज हम 600-700 Words Essay speech on Dr Homi J. Bhabha in Hindi के बारे में बात करेंगे ।
600-700 Words Essay Speech on Dr Homi J. Bhabha in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12
डॉ. होमी जहांगीर भाभा एक अद्भुत प्रतिभा संपन्न भारतीय वैज्ञानिक थे। इन्हें भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जनक माना जाता है। आज बीसव शताब्दी में अगर लियोनार्डो जैसी विलक्षण प्रतिभाओं के अवतरण को कल्पना की जाए, तो निश्चय ही डॉ. भाभा उनमें से एक होंगे। 18 मई, 1974 तथा 11 एवं 13 मई, 1998 को पोखरण में हुए जिन ऐतिहासिक परमाणु परीक्षणों की सफलता पर पूरा विश्व अचंभित रह गया और भारतीय खुशी से झूम उठे थे, उसकी नींव में डॉ. भाभा की विलक्षण प्रतिभा ही थी।
ऐसी विलक्षण प्रतिभा के स्वामी डॉ. भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को मुंबई के एक धनी पारसी परिवार में हुआ था। इनका व्यक्तित्व फिल्मी सितारों की भांति आकर्षक था। डॉ. भाभा की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई थी। बचपन से ही इनकी अभिरुचि विज्ञान की ओर थी। लेकिन खाली समय में कविता लिखना और पेंटिंग करना भी इनका प्रिय शौक था।
मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज एवं रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे की पढ़ाई हेतु ये कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। इनके पिता की इच्छा थी कि भाभा पढ़-लिखकर एक नामी इंजीनियर बनें, लेकिन उनका मन भौतिक विज्ञान को समर्पित था। फिर भी पिता की इच्छापूर्ति हेतु भाभा ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से सन 1930 में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। फिर इसी विश्वविद्यालय से 1934 में इन्हें पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त हुई।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय में डॉ. होमी जहांगीर भाभा को अपने समय के प्रख्यात वैज्ञानिक नील्स बोर के साथ काम करने का मौका मिला। सन 1936 में इन्होंने जर्मन वैज्ञानिक डब्ल्यू. हिटलर के साथ मिलकर कॉस्मिक किरणों की कई अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाया। कॉस्मिक किरणों पर किए गए इन शोधों से डॉ. भाभा को विज्ञान जगत में काफी ख्याति मिली। ऐसी स्थिति में उनकी गिनती विश्व के शीर्षस्थ वैज्ञानिकों में होने लगी।
सन 1940 में डॉ. भाभा स्वदेश लौट आए। यहां उन्हें संस्थान में भौतिक विज्ञान का रोडर नियुक्त कर लिया गया। बाद में प्रोफेसर बन गए। यहां भी इन्होंने अंतरिक्ष किरणों पर काम किया में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की गई, जिसके । दिनों तक निदेशक रहे। आजादी के बाद भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिक उत्थान हेतु बनाई जाने वाली योजनाओं के नीति-निर्धारण में डॉ. भा सलाह अवश्य ली जाती थी।
भारतवर्ष के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरला नेहरू इनका काफी सम्मान करते थे। एक बार पं. नेहरू ने इनको मंत्री बनने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन इन्होंने अस्वीकार कर दिया। सन 1948 में जब परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना हुई, तो डॉ. भाभा इसके अध्यक्ष बनाए गए। देश की परमाणु भट्टी ‘अप्सरा’ के निर्माण का श्रेय इन्हीं को है। इसके अलावा ‘सायरस’ और ‘जरलिया’ नामक दो परमाणु भट्टियों का निर्माण इनके मार्गदर्शन में हुआ।
प्रथम परमाणु ऊर्जा चालित विद्युत केंद्र, तारापुर इनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सन 1945 में परमाणु शिशु बम का तांडव देखकर डॉ. भाभा का हृदय से पड़ा। इसके बाद वे परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के पक्षधर हो गए। फलतः सन 1951 में परमाणु बम बनाने की क्षमता हासिल कर लेने के बाद भी डॉ. भाभा ने परमाणु बम का निर्माण नहीं किया। परमाणु ऊर्जा के शांतिमय उपयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रथम सम्मेलन सन 1955 में जेनेवा में हुआ। डॉ. भाभा ने इसकी अध्यक्षता की और अपने अध्यक्षीय भाषण में परमाणु आयुधों के निर्माण का जबरदस्त विरोध किया।
इस प्रकार भाभा अपने समय में विज्ञान के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी सूर्य की भांति चमकते रहे। 24 जनवरी, 1966 को डॉ. भाभा परमाणु ऊर्जा से संबंधित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए विमान से विदेश जा रहे थे। दुर्भाग्यवश वह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और डॉ. भाभा सदा के लिए इस दुनिया से विदा हो गए।
कृतज्ञ राष्ट्र ने भाभा के सम्मान में परमाणु ऊर्जा संस्थान ट्रांबे’ का नाम बदलकर ‘भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र’ और ‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ का नाम बदलकर ‘भाभा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ रखा। जैसे महाभारत के साथ भगवान श्रीकृष्ण, अहिंसा के साथ भगवान बुद्ध और भारतीय स्वतंत्रता के साथ महात्मा गांधी का नाम जुड़ा है, वैसे ही भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के साथ डॉ. होमी जहांगीर भाभा का नाम सदा जुड़ा रहेगा।
होमी जहांगीर भाभा के अनमोल विचार- Dr Homi J. Bhabha Quotes in Hindi
” कला , संगीत , कविता और बाकी सब ….मेरा यह एक उद्देश्य है जीवन की मेरी चेतना की तीव्रता को बढ़ाना .”
” किसी के जीवन की अवधि सीमित है मृत्यु के बाद क्या आता है कोई नहीं जानता . और न ही मुझे परवाह है . चूंकि मैं इसकी अवधि बढ़ाकर जीवन की सामग्री नहीं बढ़ा सकता , मैं इसकी तीव्रता बढ़ाकर इसे बढ़ाऊंगा .”
” यह इनविल्ट स्पेस है जो संस्कृति के अर्थ का भार वहन करता है , और इस तीसरे स्थान की खोज करके , हम ध्रुवीयता की राजनीति को समाप्त कर सकते हैं और हमारे स्वयं के अन्य लोगों के रूप में उभर सकते हैं ।”
” अस्वाभाविक रूप से एक जातिगत समाज की हिंसा जीवन के विवरणों पर सबसे अधिक पड़ती हैं . जहां आप बैठ सकते हैं , या नहीं , आप कैसे रह सकते हैं , या नहीं , आप क्या सीख सकते हैं, या नहीं , आप किसे प्यार कर सकते हैं, या नहीं .”
” बहुसंस्कृतिवाद या संस्कृतियों की विविधता पर नहीं , बल्कि संस्कृति की संकरता के शिलालेख और अभिव्यक्ति पर आधारित है , जो एक अंतरराष्ट्रीय संस्कृति की अवधारणा के रास्ते को खोल सकता है. यह इनबिल्ट स्पेस है जो संस्कृति के अर्थ का भार वहन करता है, और तीसरे स्थान की खोज करके , हम ध्रुवीयता की राजनीति की खोज करके , ध्रुवीयता की राजनीति को समाप्त कर सकते हैं और हमारे स्वयं के अन्य लोगों के रूप में उभर सकते हैं .”
” आलोचक की राजनीतिक जिम्मेदारी पर एक बयान : आलोचक को पूरी तरह से महसूस करने का प्रयास करना चाहिए, और ऐतिहासिक अतीत को परेशान करने वाले अप्रकाशित अतीत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.”
” शब्द नहीं बोलेंगे और चुप्पी रंगभेद की छवियों में जम जाती है .”
” अब , जब आप किसी को देखते हैं, तो वह बस नहीं है, क्या आप मेरे जैसे हैं या मेरे विपरीत हैं ? क्या आपकी संस्कृति ने महान कलाकारों का निर्माण किया है ? तुम्हारे संस्कार क्या हैं ? यह है : आपकी संस्कृति सुरक्षित है या नहीं ? .”
” मैं काफी स्प्ष्ट रुप से जानता हूँ कि मैं अपने जीवन से क्या चाहता हूँ. जीवन और मेरी भावनाएं ही ऐसी चीजें हैं जिनसे मैं सचेत हूँ . मैं जीवन की चेतना से प्यार करता हूँ और मैं इसे जितना चाहे प्राप्त कर सकता हूँ.”
” मुझे नहीं लगता कि अन्य देशों मैं वैज्ञानिक विकास से परिचित कोई भी भारत म़े इस तरह के स्कूल की आवश्यकता से इनकार करेगा जैसा कि मैं प्रस्तावित करता हूँ .”
FAQ
डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा कौन है?
डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी।
होमी जे भाभा की मृत्यु कैसे हुई?
होमी जे भाभा की 24 जनवरी 1966 को जेनेवा जाते समय एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
होमी जहांगीर भाभा ने कौन से तीन नाभिकीय रिएक्टर की स्थापना की?
होमी जहांगीर भाभा ने अप्सरा , सिरस और जरलीना नाम के तीन नाभिकीय रिएक्टर की स्थापना की थी I
भारत के प्रथम परमाणु वैज्ञानिक कौन थे?
भारत के प्रथम परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा थेI
होमी जहांगीर भाभा का जन्म कब हुआ?
डॉ. होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को मुंबई में हुआ था I
होमी जहांगीर भाभा को नोबेल पुरस्कार कब मिला?
होमी जहांगीर भाभा को इरविन श्रोडिंगर के साथ 1933 में उन्हें क्वांटम सिद्धांत पर उनके कार्यों के लिए संयुक्त रूप से भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था।
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