600-700 Words Essay, speech on Atal Bihari Vajpayee

अटल बिहारी वाजपेयी  पर  600-700 शब्दों में  निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Atal Bihari Vajpayee in Hindi

अटल बिहारी वाजपेयी  पर  600-700 शब्दों में  निबंध, भाषण । 600-700 Words Essay speech on Atal Bihari Vajpayee in Hindi

अटल बिहारी वाजपेयी  से जुड़े छोटे निबंध जैसे अटल बिहारी वाजपेयी  पर  600-700 शब्दों में  निबंध,भाषण  स्कूल में कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,और 12 में  पूछे जाते है। इसलिए आज हम  600-700 Words Essay speech on Atal Bihari Vajpayee in Hindi के बारे में बात करेंगे ।

600-700 Words Essay speech on Atal Bihari Vajpayee in Hindi for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12

सफल वक्ता के रूप में ख्यातिलब्ध अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के बटेश्वर नामक स्थान पर हुआ था। श्री वाजपेयी के पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे और दादा पंडित श्यामलाल वाजपेयी संस्कृत के जाने-माने विद्वान थे। अटल जी की शिक्षा विक्टोरिया कॉलेज में हुई। वर्तमान में इस कॉलेज का नाम बदलकर लक्ष्मीबाई कॉलेज कर दिया गया है। राजनीति विज्ञान में स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होंने इसी विषय में एम.ए. किया। इसके बाद उन्होंने कानपुर में शिक्षा पाई। उल्लेखनीय है कि श्री वाजपेयी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी भी नौकरी से अवकाश लेने के बाद इनके साथ कानून की शिक्षा लेने कानपुर चले गए, परंतु अटल जी कानून की शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।

600-700 Words Essay speech on Atal Bihari Vajpayee

श्री वाजपेयी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए। इसके अलावा वह आर्य समाज के भी सक्रिय सदस्य रहे। सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के तहत उन्हें जेल जाना पड़ा। सन 1946 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उन्हें अपना प्रचारक बनाकर संडीला भेज दिया। इनकी प्रतिभा को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने इन्हें लखनऊ से प्रकाशित ‘राष्ट्रधर्म’ पत्रिका का संपादक बना दिया। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने मुखपत्र ‘पांचजन्य’ का प्रकाशन शुरू किया, जिसके पहले संपादक वाजपेयी जी बनाए गए। श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ ही वर्षों में अपने को स्थापित करके काफी ख्याति अर्जित कर ली। बाद में वे से प्रकाशित ‘चेतना’, लखनऊ से प्रकाशित ‘दैनिक स्वदेश’ और दिल्ली से प्रकाशित ‘वीर अर्जुन’ समाचार पत्र के संपादक रहे।

श्री वाजपेयी जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। अपनी क्षमता, बौद्धिक कुशलता तथा सफल वक्ता की छवि के कारण वे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के निजी सचिव बन गए। इन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लखनऊ सीट के लिए लड़ा, लेकिन वह इस उपचुनाव में हार गए।

सन 1957 में बलरामपुर सीट से चुनाव जीतकर श्री वाजपेयी लोकसभा में गए, लेकिन सन 1962 में वे कांग्रेस की सुभद्रा जोशी से चुनाव लड़े और हार गए। सन 1967 में इन्होंने पुन: इस सीट पर कब्जा कर लिया। सन 1971 में उन्होंने ग्वालियर, सन 1971 और 1980 में नई दिल्ली तथा सन 1991, 1996, 1998 एवं 2004 में लखनऊ सीट से विजय प्राप्त की। वे दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। ये सन 1968 से 1975 तक जनसंघ के अध्यक्ष रहे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल में सभी विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर जनता पार्टी बनाई। जनता पार्टी सरकार का विभाजन होने पर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई, जिसमें वे संस्थापक सदस्यों में थे।

श्री वाजपेयी को सन 1962 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया। सन 1994 में वे ‘गोविंद वल्लभ पंत’ पुरस्कार और ‘लोकमान्य तिलक’ पुरस्कार से नवाजे गए। इन्हें मोरारजी देसाई सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया। विदेश मंत्री पद पर रहते हुए पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल करके इन्होंने सबको चौंका दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मातृभाषा हिंदी में भाषण देकर एक नया इतिहास रचा।

श्री वाजपेयी प्रखर नेता के साथ-साथ कवि एवं लेखक भी हैं। इन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘लोकसभा के भाषण’, ‘लोकसभा में अटलजी’, ‘मृत्यु या हत्या’, ‘अमर बलिदान’, ‘कैदी कविराय की कुंडलियां’, ‘न्यू डाइमेंशन ऑफ इंडियन फॉरेन पॉलिसी’, ‘फोर डिकेड्स इन पार्लियामेंट’ आदि प्रमुख है। इनका काव्य संग्रह ‘मेरी इक्यावन कविताएं’ काफी चर्चित हुआ है। हैं।

विनम्र, कुशाग्र बुद्धि एवं अद्वितीय प्रतिभा संपन्न श्री वाजपेयी सन 1998 में संसदीय लोकतंत्र के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए थे। लेकिन सरकार की अस्थिरता के कारण कई बार इन्हें पद से हटना पड़ा। परंतु उन्होंने पूरे कार्यकाल में सुदृढ़ भारत के निर्माण हेतु महत्वपूर्ण कार्य किए। वे भाजपा के संसदीय दल के अध्यक्ष और राजग गठबंधन के चेयरमैन पद पर भी आसीन हुए।

मृत्यु

वाजपेयी को सन 2009 में एक दौरा पड़ा था, जिसके बाद वह बोलने में असमर्थ हो गए थे। उन्हें 11 जून 2018 में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018 को उनकी मृत्यु हो गयी।

अटल बिहारी वाजपेयी के अनमोल विचार – Atal Bihari Vajpayee Quotes in Hindi

हले एक दृढ विश्वास था कि संयुक्त राष्ट्र अपने घटक राज्यों की कुल शक्ति की तुलना में अधिक मजबूत होगा।

अटल बिहारी वाजपेयी

छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता.

अटल बिहारी वाजपेयी

कंधे-से-कंधा लगाकर, कदम-से-कदम मिलाकर हमें अपनी जीवन-यात्रा को ध्येय-सिद्धि के शिखर तक ले जाना है. भावी भारत हमारे प्रयत्नों और परिश्रम पर निर्भर करता है. हम अपना कर्तव्य पालन करें, हमारी सफलता सुनिश्चित है.

अटल बिहारी वाजपेयी

राष्ट्र की सच्ची एकता तब पैदा होगी, जब भारतीय भाषाएं अपना स्थान ग्रहण करेंगी.

अटल बिहारी वाजपेयी

होने, ना होने का क्रम, इसी तरह चलता रहेगा. हम हैं, हम रहेंगे, ये भ्रम भी सदा पलता रहेगा.

अटल बिहारी वाजपेयी

लोकतंत्र एक ऐसी जगह है जहां दो मूर्ख मिलकर एक ताकतवक इंसान को हरा देते हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी

परमात्मा भी आकर कहे कि छुआछूत मानो, तो मैं ऐसे परमात्मा को भी मानने को तेयार नहीं लेकिन परमात्मा ऐसा कर ही नहीं सकता।

अटल बिहारी वाजपेयी

आज मानव और मानव के बीच में जो भेद की दीवार खड़ी है उसे हटाना होगा। इसके लिए राष्ट्रीय अभियान को आवश्यकता हैं।


मनुष्य जीवन अनमोल निधि है पुण्य का प्रसाद है। इसे केवल अपने लिए ही ना जीए, दूसरों के लिए भी जिए।


अपना जीवन जीना एक कला है, एक विज्ञान है। इन दोनों में समन्वय आवश्यक है।


भारत, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ एक राष्ट्र है, अनेक राष्ट्रीयताओं का समूह नहीं।


हमे जलना होगा, गलना होगा। कदम मिलकर चलना होगा।


मुझे अपने हिंदुत्व पर अभिमान है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं मुस्लिम विरोधी हूं।


सूर्य एक सत्य है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। लेकिन ओस की बूंद भी तो एक सच्चाई है, यह बात अलग है कि यह क्षणिक है।


निराशा की अमावस के अंधकार में हम अपना मस्तक आत्म-गौरव के साथ तनिक ऊँचा उठाकर देखें।


सेवा कार्यों की उम्मीद सरकार से नहीं की जा सकती। उसके लिए समाज सेवी संस्थाओं को ही आगे बढ़ना पड़ेगा।


इंसान बनो, केवल नाम से नहीं, रूप से नहीं, शक्ल से नहीं बल्कि हृदय से, बुद्धि से, ज्ञान से बनो।


हमारे पड़ोसी कहते हैं कि एक हाथ से ताली नहीं बजती, हमने कहा कि चुटकी तो बज सकती है।


मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन जीते जाते हैं।


मनुष्य को चाहिए कि वह परिस्थितियों से लड़ें, एक स्वप्न टूटे, तो दूसरा गढ़े।


आदमी की पहचान उसके धन या पद से नहीं होती, उसके मन से होती है। मन की फकीरी पर तो कुबेर की संपदा भी रोती है।


पना देश एक मन्दिर है, हम पुजारी हैं, राष्ट्रदेव की पूजा में हमने अपने आपको को समर्पित कर देना चाहिए।


पौरुष, पराक्रम, वीरता हमारे रक्त में है। यह हमारी महान परंपरा का अभिन्न अंग है। यह संस्कारों द्वारा हमारे जीवन में ढाली गई है।

हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति और मानव कल्याण तथा उसकी कीर्ति के लिए त्याग और बलिदान की बेला में कभी भी कदम पीछे नहीं हटाएंगे।

मैं अपनी सीमाओं से परिचित हूं। मुझे अपनी कमियों का अहसास भी है।

छुआछूत कानून के विरुद्ध ही नहीं, यह परमात्मा तथा मानवता के विरुद्ध भी एक गंभीर अपराध है।

कंधों से कंधा लगाकर, कदम से कदम मिलाकर हमें अपनी जीवन यात्रा को लक्ष्य प्राप्ति के शिखर तक ले जाना है।

जीवन को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता, उसका पूर्णता में ही विचार करा जाना चाहिए।


मेरे पास भारत का एक दृष्टिकोण है- भारत भूख और भय से मुक्त बनाने का, भारत को निरक्षरता से मुक्त करने का और यही ये चाहता है।


सामाजिक न्याय के बिना स्वतंत्रता अपूर्ण है।


आप दोस्तों को बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं।


यदि आपको किसी विशेष पुस्तक में कुछ भी पसंद नहीं है, तो बैठकर चर्चा करें। एक पुस्तक पर प्रतिबंध लगाना इसका समाधान नहीं है। हमें वैचारिक रूप से इसे निपटाना होगा।


परिवार कल्याण की सफलता महिलाओं को अपने जीवन के साथ पूर्ण स्वतंत्रता देने पर निर्भर करती है। समय की आवश्यकता यह है कि लोगों को अपनी सुविधा के अनुसार अपने परिवारों के लिए योजना बनाये और जरुरी स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिए।


हमारे परमाणु हथियार, केवल दुसरो के परमाणु हमलो से निपटने के लिए हैं।


भारत में बहादुर युवा पुरुषों और महिलाओं की कोई कमी नहीं है और यदि उन्हें मौका मिलता है और मदद मिलती है तो हम अंतरिक्ष की खोज में अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और इन्ही में से कोई भारत के सपनो को पूरा करेगा।

हमें आशा है कि दुनिया प्रबुद्ध आत्म-रुचि की भावना में कार्य करेगी।

अटल बिहारी वाजपेयी

FAQ

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म कब हुआ था?

25 दिसम्बर 1924

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म कहाँ हुआ था?

ग्वालियर

अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री कब बने?

19 मार्च 1998

अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु कब हुई थी?

16 अगस्त 2018 को उनकी मृत्यु हो गयी

अटल बिहारी वाजपेई की माता का नाम क्या था?

कृष्णा देवी

अटल बिहारी वाजपेई के पिता का क्या नाम था?

कृष्ण बिहारी बाजपयी

अटल बिहारी की मृत्यु कैसे हुई?

उन्हें 11 जून 2018 में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018 को उनकी मृत्यु हो गयी।

अटल बिहारी बाजपेई की पत्नी का क्या नाम था?

अटल जी अविवाहित थे

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